बस्तर। कोविड-19 महामारी के दौर में दंतेवाड़ा जिले में पदस्थ एकम फाउंडेशन के 29 कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग ने नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। नौकरी बचाने की गुहार लेकर सभी कर्मचारी गुरूवार को मांई दंतेश्वरी के दरबार में घुटनों के बल चलकर पहुंचे।
बता दें कि साल 2017 से जिला अस्पताल दंतेवाड़ा के शिशु वार्ड, मेडिकल वार्ड, कैजुअल्टी वार्ड, प्रसूति वार्ड, ऑपरेशन थिएटर व एक्सरे वार्ड जैसी अत्यावश्यक सेवाओं में ये कर्मचारी स्टाफ नर्स, ओटी टेक्नीशियन, लैब टेक्नीशियन के रूप में लगातार अपनी सेवाएं दे रहे थे। इसी बीच कोरोना संकट काल में इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना महामारी के संकटकाल में वे अपना जीवन यापन कैसे करेंगे। यदि इनकी नौकरी चली जाती है तो इनके परिवारजनों का भरण पोषण संभव नहीं है। क्योंकि कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी आय से ही इनके परिवार का गुजर बसर चलता है। स्वास्थ्य कर्मियों का आरोप है कि जब तक इनकी आवश्यकता थी सीएमएचओ और सिविल सर्जन द्वारा झूठा आश्वासन देकर इनसे काम लिया गया, लेकिन अब काम निकलने के बाद इन कर्मचारियों को काम से बाहर निकाल दिया गया है। ऐसी स्थिति में यह सभी कर्मचारी मां दंतेश्वरी के शरण में पहुंचे और मांईजी से अपनी नौकरी बचाने की दरखास्त की।
इस बारे में सीईओ जिला पंचायत अश्विनी देवांगन ने बताया कि कर्मचारियों को नौकरी से निकाला नहीं गया है। एकम फाउंडेशन व स्वास्थ्य विभाग के बीच 3 साल पहले कान्ट्रैक्ट हुआ जिसके तहत ये 29 कर्मचारी रखे गए थे। साल भर पहले इनका कान्ट्रैक्ट खत्म हुआ है। इसके बावजूद इनसे अभी तक सेवाएं ली जा रही थी। सीईओ ने बताया कि तात्कालिक परिस्थितियों के मद्देनजर एकम फाउंडेशन की सेवाएं ली गई। मौजूदा स्थिति में स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न पदों पर भर्तियां की जा चुकी है। वहीं एकम फाउंडेशन से करार भी खत्म हो चुका है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने इन कर्मचारियों को काम से नहीं निकाला है।
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