सुनील पुरी
फतेहपुर । उत्तर प्रदेश पुलिस की नाकामियां और उसके गलत क्रियाकलाप समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। गैंगस्टर विकास दुबे के मामले ने यूपी पुलिस के कामकाज की पोल खोल कर रख दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर कराकर भले ही यूपी पुलिस की पीठ थपथपा रहे हों, मगर पुलिस की कारगुजारियां दर्शाती हैं कि इतनी नाकारा और निकम्मी पुलिस शायद ही किसी राज्य की हो। एक नाबालिग लड़की की गुमशुदगी की नामजद प्राथमिकी के बावजूद यूपी पुलिस उसे ढ़ाई साल बाद भी नहीं खोज पाई है। ऐसी निकम्मी पुलिस से आखिर सूबे की जनता क्या अपेक्षा कर सकती है।
थाना कल्याणपुर, जनपद फतेहपुर निवासी एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की पांच जनवरी, 2018 को अचानक अपने घर से गायब हो जाती है। उसकी गुमशुदगी की रपट 18 जनवरी, 2018 को कल्याणपुर थाने में दर्ज कराई जाती है। बाकायदा नामजद प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद कल्याणपुर थाना इस पर कोई कार्रवाई नहीं करता। उत्तर प्रदेश सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती। बार – बार की शिकायत पर थाना की एक लाइन की आख्या होती है – श्रीमान जी रिपोर्ट अवलोकनार्थ सादर सेवा में प्रेषित है।
पुलिस महकमे के निकम्मेपन की इंतहा तो तब होती है, जब गुमशुदगी की शिकायत करने पर रिपोर्ट लगाई जाती है कि यहां पर गलियारे और चकरोड का कोई विवाद नहीं है। पुलिस को जब फिर से यह बात याद दिलाई जाती है कि यह कोई जमीन विवाद का मामला नहीं नाबालिग लड़की की गुमशुदगी का मसला है तब वह फिर रिपोर्ट बदलकर वही घिसा पिटा जवाब देते हैं कि इस संदर्भ में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और जांच चालू है। पिछले ढ़ाई साल में जो पुलिस एक नाबालिग लड़की को नहीं ढूंढ़ पायी, ऐसी नाकारा और निकम्मी पुलिस से आखिर क्या उम्मीद की जा सकती है। भला हो मध्य प्रदेश पुलिस का जिसने विकास दुबे को ढ़ूंढ़ निकाला। और जब मध्य प्रदेश की पुलिस ने विकास दुबे को उत्तर प्रदेश की पुलिस को सौंपा, तब भी उनमें अपने किए पर कोई शर्म नहीं आयी और न ही पछतावा हुआ। अब तो शिकार उनके हाथ में था, ऐसे में उसका कथित तौर पर फर्जी एनकाउंटर कर उसे लगा कि उसने बहुत बड़ा काम कर दिया है।
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