रवि चौहान
नई दिल्ली। मास्क बनाने को दिए जाते हैं। एनजीओ में हर मास्क पर एक महिला को 5 रुपये से 7 रुपये तक मिलता है। अभी ये सब महिलाएं रोजाना 40 से 50 मास्क तक बना लेती हैं। कटकथा एनजीओ में कार्यरत प्रज्ञा बसेरिया, जो की हार्ट शाला प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं हैं, ने आईएएनएस को बताया, हमारी एनजीओ में जीबी रोड से 10 महिलाएं मास्क बनाने आ रही हैं लेकिन 8 महिलाएं ऐसी है, जिन्होंने जीबी रोड छोड़ दिया है और अपनी एक नई जिंदगी की शुरूआत की है।उन्होंने कहा, हम अगले हफ्ते तक 5 और महिलाओं को अपने साथ शामिल करेंगे और वो सभी जीबी रोड छोड़ कर हमारे साथ आएंगी और मास्क बना कर अपनी जिंदगी यापन करेंगी। हमने हाल ही में वहां सर्वेय कराया थाए करीब 800 महिलाएं अभी भी जीबी रोड पर रह रहीं हैं।ष्जीबी रोड पर 22 बिल्डिंग है। इन सभी बिल्डिंग में कुल 84 कोठे है ंऔर हर कोठे का एक नम्बर होता है। ये सभी कोठे पहले, दूसरे और तीसरी मंजिल पर बसे हुए हैं। वहीं ग्राउंड फ्लोर पर टेलर,ए इलेक्ट्रिक शॉप, जनरल स्टोर आदि खुले हुए हैं। हर कोठे में 10 से 15 सेक्सवर्कर्स हैं और करीब 800 सेक्सवर्कर्स हैं।चांदनी (बदला हुआ नाम) ने आईएएनएस को बताया, मुझे इस लॉकडाउन में काफी परेशानी हो गई थी। उसके बाद मुझे एनजीओ की तरफ से मदद मिली, अब मैं रोजाना 30 मास्क बना लेती हूं। मुझे अभी अच्छा लग रहा हैए मुझे एनजीओ की तरफ से घर भी दिया गया है।
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