लखनऊ। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में सोमवार को आरोपित पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह और धर्म सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष दुबे सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुए। इस दौरान कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किये गये।
अदालत ने करीब एक हजार सवालों की सूची बनाई है, जिनके जवाब उन्हें देने होंगे। अयोध्या ढांचा गिराये जाने के मामले में कुल 49 लोगों को आरोपित बनाया गया था। इसमें से 32 लोगों के बयान दर्ज हो रहे हैं। मीडिया के भारी जमावड़े के कारण पुलिस ने कोर्ट परिसर के दरवाजे बंद कर दिए हैं। कोर्ट पहुंचे धर्म सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष दुबे ने कहा कि ढांचा ढहाने में उनका हाथ नहीं है। लेकिन उनकी हमेशा ये चाहत रही की वहां पर एक भव्य राम मंदिर बने और इसके लिए वह काम करते रहेंगे।
अयोध्या ढांचा विध्वंस मामले में 6 दिसंबर 1992 को थाना राम जन्मभूमि में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। इस मामले में सीबीआइ ने जांच करते हुए 49 आरोपितों के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। वहीं, आरोपितों में से 17 की मौत हो चुकी है। सभी गवाहों के बयान के बाद अभियुक्तों को अपनी सफाई पेश करने का अवसर दिया जाएगा। इसके बाद सीबीआई और अभियुक्तों के वकीलों के बीच बहस होगी। उसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को विशेष अदालत को 31 अगस्त तक केस की सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था।
6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अयोध्या में बाबरी में विवादित मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था। इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, अशोक सिंघल, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा सहित अन्य नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
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