शनिवार, 25 जुलाई 2020

जैविक युद्ध क्षमताओं के बीच समझौता

बीजिंग/ इस्लामाबाद। ‘जैविक युद्ध क्षमता’ बनाने के लिए चीन और पाकिस्तान के बीच एक समझौते की खबर आई है, और इस समझौते से जुड़े दावों के केन्द्र में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है। ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार एंथनी क्लैन, जो एक वेबसाइट क्लेक्सॉन के सम्पादक हैं, ने एक खबर में इस समझौते का खुलासा किया है। क्लैन के मुताबिक, ये समझौता चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और पाकिस्तान की डिफेंस, साइंस और टेक्नोलॉजी ऑर्गनाइजेशन के बीच हुआ है। ऐसा लगता है कि ये केवल ज्वॉइंट रिसर्च के लिए किया गया एक समझौता होगा, जो ‘उभरती संक्रामक बीमारियो’ पर होगी, लेकिन एंथनी क्लैन दावा करते हैं कि ये समझौते से ज्यादा एक कुटिल एजेंडा है। ये प्रोग्राम पूरी तरह चीन द्वारा वित्तपोषित है, और इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है क्योंकि चीन पाकिस्तान में काफी कुछ निवेश करता रहा है। इस समझौते के तहत चीन को चीन की सीमाओं के बाहर यानी पाकिस्तान में भी जैविक एजेंट्स पर परीक्षण करने की इजाजत मिल गई है।


रिपोर्ट के मुताबिक, ये एक गुप्त सौदा है, जिसकी जानकारी दुनियां से छुपाई जा रही है। पाकिस्तान में एक सीक्रेट जगह है जहां रोग फैलाने वाले घातक कीटाणुओं (पैथोजेन) से जुड़े कई रिसर्च प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। पैथोजेन एंथ्रेक्स की तरह हैं, जिनका इस्तेमाल जैविक हथियार के रूप में किया जा चुका है। इससे पहले शुक्रवार को ज़ी न्यूज के सहयोगी चैनल (wion) ने एंथनी क्लैन से बातचीत की, उसने कहा कि नई दिल्ली को इस तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि ये मसला भारत के लिए सीधा और बड़ा खतरा है।         


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