बुधवार, 1 जुलाई 2020

होऊ यान्की का सहयोग भी कम नहीं





नई दिल्ली। नेपाल के भारत से दूर जाने और चीन के नजदीक आने के पीछे कई राजनैतिक कारण हो सकते हैं। लेकिन नेपाल में चीन के पक्ष बनाने में चीन की नेपाल में राजनयिक होउ यान्की का योगदान भी कम नहीं है। नेपाल में चीनी राजदूत काफी सक्रिय रहती हैं और भारत के पड़ोसी देश में चीन की मौजूदगी अपनी कूटनीति से मजबूत कर रही हैं। राजदूत यान्की ने मंगलवार को ही इंडियन आर्मी चीफ मनोज नरवणे के नेपाल में चीन के दखल करने के आरोप का जवाब दिया। आर्मी चीफ ने कहा था कि नेपाल भारत के खिलाफ किसी और के इशारे पर कदम उठा रहा है। राइजिंग नेपाल को दिए इंटरव्यू में चीनी राजदूत होउ ने कहा, नेपाल की सरकार ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय संप्रुभता की सुरक्षा के लिए जनभावनाओं के तहत ये कदम उठाया। कथित तौर पर चीन के इशारे पर नेपाल की कार्रवाई का आरोप बेबुनियाद है और ऐसे आरोप गलत मंशा से लगाए गए हैं। ऐसे आरोप सिर्फ केवल नेपाल की महत्वाकांक्षाओं का ही अपमान नहीं करते हैं बल्कि चीन-नेपाल के संबंधों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाए जा रहे हैं।


चीनी राजदूत केवल बयान देने तक ही अपनी कूटनीति सीमित नहीं रखती हैं। वह नेपाल के कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वह स्थानीय युवतियों के साथ नृत्य भी करती हैं। साथ ही नेपाल के टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए फोटो सेशन भी करती हैं। इतना ही नहीं, नेपाल की राजनीति में भी उनकी बहुत रूचि है और कई बार वो ओली सरकार के लिए संकटमोचन का काम भी कर चुकी हैं। होउ यान्की 2018 से नेपाल में चीन की राजदूत है और ये देखा जा सकता है कि उनके आने के बाद नेपाल चीन के और करीब आ गया है। नेपाल और चीन की बढ़ती करीबी में चीनी राजदूत अहम भूमिका अदा कर रही हैं।


 भले ही कोरोना वायरस चीन से आया हो, लेकिन इस संक्रमण काल में जनता को राहत पहुंचाने के लिए हमेशा तत्पर रही हैं। उन्होंने कोरोना सहयोग के नाम पर सेना से लेकर सरकार और आम जनता तक सीधे पहुंच बनाई और संभव मेडिकल सामग्री पहुंचाई। यान्की का अधिकतर समय या तो नेपाल के विभिन्न मंत्रालयों में गुजरता है या फिर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न मंत्रालयों के काम काज में सहयोग के नाम पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में। लॉकडाउन के दौरान भी वह नेपाल के राजनैतिक दलों से लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ी रहीं। नेपाल में दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव से पहले गठबंधन करवाने और यूएमएल-माओवादी को एकजुट करवाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ओली सरकार पर जब-जब संकट आया है और जब-जब पार्टी विभाजन की कगार पर पहुंची है, तब-तब इन्होंने ही पार्टी को टूटने से बचाया है। होउ यान्की 1996 से चीन के विदेश विभाग में काम कर रही हैं। वो दक्षिण एशिया मामलों में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर रह चुकी हैं और लॉस ऐन्जलिस में चीन की कॉन्सुलेट जनरल रह चुकी हैं। नेपाल आने से पहले वह पाकिस्तान में भी चीन की राजदूत रह चुकी हैं। इंग्लिश और चीनी भाषा के अलावा वह हिन्दी और उर्दू भाषा का भी ज्ञान रखती हैं। यान्की नेपाली भाषा को समझकर उसका जवाब भी दे देती हैं। नेपाल को चीन के पाले में ले जाने के लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं।

 

 






 















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