सोमवार, 6 जुलाई 2020

हवा से फैल रहा है कोरोना संक्रमण

नई दिल्ली। साइंटिस्ट्स का कहना है कि कोरोनावायरस एयरबोर्न है, जो कि एक कमरे में छोटे कणों के जरिए लोगों के सांस लेने पर उन्हें संक्रमित कर सकता है। सैकड़ों साइंटिस्ट्स कहते हैं कि इस बात के प्रमाण हैं कि हवा में छोटे कणों के जरिए कोरोनावायरस लोगों को संक्रमित कर सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब साइंटिस्ट्स द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोनावायरस नियमों को संशोधित करने के लिए कहा जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कहा था कि कोरोनोवायरस डिजीज मुख्य रूप से व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नाक या मुंह से निकलने वाली छोटी बूंदों के जरिए फैलता है।


रिपोर्ट के अनुसार, WHO को लिख गए एक ओपन लेटर में, जिसे रिसर्चर्स ने अगले सप्ताह एक साइंटिफिक जरनल में पब्लिश करने की योजना बनाई है, उसमें 32 देशों के 239 साइंटिस्ट्स ने छोटे कणों को दिखाते हुए सबूतों को रेखांकित किया है। उनका कहना है कि ये छोटे कण लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि अभी WHO ने अभी इस मामले पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं की है। साइंटिस्ट्स का कहना है कि चाहे बड़े ड्रॉप्लेट्स हों जो छींकने के बाद हवा के जरिए जूम होते हैं, या बहुत छोटी एक्सहेल्ड ड्रॉप्लेट्स हों जो एक कमरे में घूम सकते हैं वो लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। कोरोनोवायरस हवा के माध्यम से पैदा होता है और लोगों द्वारा सांस लेने पर उन्हें संक्रमित कर सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि वायरस के एयरबोर्न होने के प्रमाण पुख्ता नहीं हैं।


रिपोर्ट के अनुसार, WHO के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के तकनीकी लीडर डॉ. बेनेडेट्टा अलेनग्रांजी ने कहा कि विशेष रूप से पिछले कुछ महीनों में, हम कई बार यह कहते रहे हैं कि हम एयरबोर्न ट्रांसमिशन को संभव मानते हैं लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।


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