शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

हरियाणा होकर कोर्ट पहुंचा सियासी खेल

राणा ओबराय
राजस्थान की सियासत का खेल, हरियाणा रिसोर्ट से होता हुआ कोर्ट तक पहुंचा
जयपुर/दिल्ली। राजस्थान का दलबदल का खेल अब राजस्थान उच्च न्यायालय तक पहुंच गया है । कहां तो सचिन पायलट बागी होकर सरकार पलटने की फिराक में थे और कहां विधायक बने रहने के लाले पड़ गये और कोर्ट जाना पड़ा । यह बहस छिड़ गयी कि स्पीकर को ऐसे नोटिस देने का अधिकार है या नहीं । इस तरह खेल रिसोर्ट से होता हुआ कोर्ट तक पहुंच गया । याद होगा आपको कभी उत्तराखंड विधानसभा का मामला भी कोर्ट तक पहुंचा था । फिर विजय बहुगुणा और उनकी बहन रीटा बहुगुणा कांग्रेस छोड़ कर भाजपा के हो गये । वह संकट भी भाजपा के कारण आया था । अब सचिन पर फैसला कुछ भी आए लेकिन इतना तो मानना पड़ेगा कि फिलहाल दांव उलटा पड़ा है सचिन पायलट का । अब कहां रनवे मिलेगा , कहां नहीं ? कुछ समझ नहीं पा रहे सचिन । जिस भाजपा के भरोसे बागी हुए थे वे तो कह रहे हैं कि हम देख रहे हैं , निगाह रखे हुए हैं और समय पर कार्यवाही करेंगे । एक तरफ सचिन ने घोषणा कर दी कि भाजपा में नहीं जायेंगे , दूसरी तरफ भाजपा की वसुंधरा राजे सचिन की राह भाजपा में रोके हुए हैं । यह बयान भी आया है नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल का कि वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री गहलोत की मदद कर रही है और दो विधायकों को लौटा भी दिया सचिन कैंप में जाने से पहले ही । यह राजनीति है । चाहे वसुंधरा राजे गहलोत की मदद न भी कर रही हों लेकिन वे अपना घर तो बचाएंगी ही न वसुंधरा राजे और अपना घर बचाते बचाते मदद हो रही है गहलोत की ।
इधर गहलोत और ज्यादा आक्रामक होते जा रहे हैं । पहले तो स्मार्ट ब्बाॅय कहा और अंग्रेज़ी बोलने से कुछ नहीं होता कहा और अब सीधे सीधे शब्दों में गद्दार ही कह दिया जबकि कांग्रेस हाईकमान गहलोत के ऐसे रवैये से ज्यादा खुश नहीं कयोंकि हो सकता है कि सचिन की वापसी के प्रयास सफल हो जायें पर लगता यह है कि गहलोत अब नहीं चाहते कि किसी भी तरीके से सचिन कांग्रेस में वापस आ जायें । इसलिए वे इतना आक्रामक रवैया अपना रहे हैं । मज़ेदार बात है कि अभी कांग्रेस के बागी विधायक गुरुग्राम के निकट ग्रैंड भारत रिसोर्ट में रुके हुए हैं और कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया है कि बागी भाजपा की निगरानी में छुट्टियां मना रहे हैं । यह चुटकी भाजपा पर है कि चाहे सरकार गिरा सके या नहीं लेकिन बागी कांग्रेसियों को तो मज़े करवा रहे हो । भाजपा की इस मामले में महाराष्ट्र के बाद एक बार फिर किरकिरी हुई । अजित पंवार की तरह सचिन पायलट पर भरोसा करके बहुत बड़ी भूल की और अब मूक दर्शक बन कर बैठ गये । भाजपा का कुछ गया नहीं लेकिन सचिन की राजनीति की उड़ान फिलहाल धीमी पड़ गयी । जायें तो जायें कहां? आखिर महत्त्वाकांक्षा कहां से कहां ले गयी ? गहलोत की मानें तो पिछले डेढ़ साल से पायलट साजिश रच रहे थे । बात तक नहीं की मुझसे । कैसे उपमुख्यमंत्री ? अब शायद दो दो उपमुख्यमंत्री बनाये जायेंगे ताकि संतुलन बनाया जा सके । देखिए कोर्ट क्या फैसला सुनाया है और सचिन का भविष्य क्या होगा ?               


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