गुरुवार, 16 जुलाई 2020

गाजियाबाद एनसीआर का एपिक सेंटर

अश्वनी उपाध्याय


गाजियाबाद। कुल 3,700 कोरोना संक्रमितों के साथ अब गाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश और एनसीआर का एक नया एपीक सेंटर बन गया है। बुधवार को गाज़ियाबाद जिले में 144 नए संक्रमितों की पहचान हुई है। इस अवधि में 30 मरीजों को कोरोना मुक्त होने के बाद विभिन्न अस्पतालों से डिस्चार्ज कर दिया गया है। वर्तमान में जिले में 1407 सक्रिय मरीज हैं।  पिछले 24 घंटों के दौरान गाज़ियाबाद में 2 अलग-अलग अस्पतालों में दो संक्रमितों की मौत हो गई जिनकी पुष्टि करने से स्वास्थ्य विभाग ने इनकार कर दिया है।


क्वारंटाइन सेंटरों का है बुरा हाल


गाज़ियाबाद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे क्वारंटाइन सेंटरों का हाल काफी बुरा है।  यहाँ भर्ती मरीज सोशल मीडिया के माध्यम से अपना दुख दुनिया को बता रहे हैं।  अधिकतर सेंटरों में सफाई की व्यवस्था नहीं के बराबर है। भर्ती मरीजों द्वारा शेयर की जा रही वीडियो से पता चलता है कि टायलट में पानी उपलब्ध नहीं है जबकि नालियाँ चोक हो चुकी हैं और उनका गंदा पानी वार्डों में फैला हुआ है। हज हाउस में बने क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती एक मरीज ने बताया कि यहाँ पैकेट बंद खाना दिन में सिर्फ दो बार मिलता है और वह भी ठंडा होता है।  टायलेट में पानी की व्यवस्था नहीं है, पीने और नहाने आदि के लिए नगर निगम ने एक टैंकर लाकर खड़ा किया हुआ है जिस से दिन भर पानी टपकता रहता है।


अत्यंत दबाव में काम कर रहा है सरकारी तंत्र  


चाहे वह क्वारंटाइन सेंटर हों या फिर कोविड स्पेशल अस्पताल, सभी जगह मरीजों का भारी दबाव है।  विदित तथ्य है कि गाज़ियाबाद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का पहले से ही बुरा हाल था। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और सपोर्ट स्टाफ की संख्या बहुत कम है। ऐसे में हर दिन बढ़ते कोरोना संक्रमितों के कारण सरकारी स्वास्थ्य तंत्र बेहद दबाव में काम कर रहा है


मिले होम क्वारंटाइन की सुविधा   


ज़्यादातर कोरोना संक्रमितों और उनके परिजनों की मांग है कि गाज़ियाबाद में भी दिल्ली की तरह ही होम क्वारंटाइन की सुविधा मिले।  अर्बन जिला होने के कारण जिले के अधिकतर लोग कोरोना और उससे बचाव के तरीके जानते हैं और मरीज को एक अलग कमरे में रखकर उसकी देखभाल करने में सक्षम हैं। जो परिवार मरीज की देखभाल नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सरकारी और निजी अस्पताल मौजूद हैं।


क्वारंटाइन सेंटरों के डर से नहीं करा रहे हैं टेस्ट


जिले में बहुत से व्यक्ति ऐसे भी है जिनमें कोरोना के लक्षण स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं लेकिन उन्हें डर है कि यदि उनका रिजल्ट पॉज़िटिव आता है तो प्रशासन उन्हें सरकारी क्वारंटाइन सेंटरों में भेज देगा जहां की हालत बहुत अच्छी नहीं है।  ऐसे में यदि प्रशासन होम क्वारंटाइन की अनुमति दे देता है तो संभव है कि ज्यादा से ज्यादा लोग स्वेच्छा से कोरोना टेस्ट कराने के लिए सामने आएंगे।


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