अकांशु उपाध्याय
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा परियोजना से प्रभावित लगभग 3,600 लोगों को स्थानांतरित करने के लिए 48 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी है। यह कदम हवाई अड्डे के निर्माण में तेजी लाने के लिए किया गया है।
यह अधिसूचना 11 जुलाई को भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत जारी किया गया, जिसमें ग्रीनफील्ड परियोजना से प्रभावित लोगों को मुआवजा देने का भी जिक्र है। इस हवाई अड्डे को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रहने वाले लोगों के लिए नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे के विकल्प के रूप में देखा जाता है।यह अधिसूचना नागरिक उड्डयन के विशेष सचिव सुरेंद्र सिंह द्वारा जारी की गई थी, जो कि ग्राम जेवर बांगर में 48.097 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण से संबंधित है। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 13 अप्रैल को प्रारंभिक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें प्रभावित किसानों के पुनर्वास के लिए भूमि की पहचान का सुझाव दिया गया था।
साल 2018 में जेवर में भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों की आपत्ति के बाद हलचल पैदा हो गई थी। दरअसल किसान मुआवजे की राशि के बजाय आरक्षण की मांग कर रहे थे। तत्कालीन यमुना एक्सप्रेसवे और औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) के अध्यक्ष, प्रभात कुमार ने कहा था कि अगर किसानों ने नियम और शर्तो को स्वीकार नहीं किया तो परियोजना को खत्म करना पड़ सकता है।
इसके बाद किसानों को यमुना एक्सप्रेसवे के साथ, जेवर में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की परियोजना के लिए अधिग्रहण की जाने वाली कृषि भूमि के लिए 2,300 रुपये से 2,500 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर की पेशकश की गई थी। अब राज्य सरकार को इस अधिसूचना को दो समाचार पत्रों के अलावा स्टेट गजेट में प्रकाशित कराना होगा, जिनमें से एक स्थानीय भाषा में होगा। साथ ही जिला मजिस्ट्रेट, पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय के माध्यम से भी अधिसूचना को स्थानीय भाषा में भी प्रसारित किया जाएगा।
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