मंगलवार, 7 जुलाई 2020

एमपी के राज्यपाल की हालत बनी नाजुक

भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की हालत नाजुक बनी हुई है। वे फिर से वेंटिलेटर आ गए हैं। लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल के डायरेक्टर डा. राकेश कपूर ने हेल्थ बुलेटिन जारी कर कहा है कि लालजी टंडन की हालत नाजुक है, लेकिन नियंत्रण में है। इधर, अन्य बड़े डाक्टरों की भी सलाह ली जा रही है। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन पिछले 11 जून से लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती है। 13 जून को टंडन को वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया था। बीच में दो दिन बाई-पैप मशीन पर भी रहे। इसके बाद फिर हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया।गौरतलब है कि टंडन की हालत पिछले 30 जून से नाजुक बनी हुई है। हालांकि डाक्टरों ने उनकी हालत को स्थिर बताया है।


आनंदीबेन ने दिलाई शपथ


इससे पहले मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की हालत खराब होने के कारण मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए आनंदी बेन पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। आनंदीबेन पटेल उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं। पिछले दो-तीन दिन मध्यप्रदेश में रहने के बाद वे शनिवार को ही लखनऊ रवाना हुई हैं।


11 जून को हुए थे भर्ती


राज्यपाल लालजी टंडन को 11 जून को तबीयत बिगड़ने पर लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 13 जून को पेट में रक्तस्राव होने के कारण उनका ऑपरेशन किया गया। इसके बाद से वे लगातार क्रिटिकल केयर वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। बीच-बीच में दो तीन बार डाक्टरों ने वेंटिलेटर हटाया था, लेकिन फिर से श्वास लेने में दिक्कतों के कारण दोबारा वेंटिलेटर पर रखा गया। 27 जून को उन्हें प्रेशर में ऑक्सीजन देने के लिए बाई-पैप मशीन पर रखा गया था। लेकिन, उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ।


मेदांता अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने उनका हेल्थ बुलेटिन जारी कर बताया था कि राज्यपाल को कोमोर्बिटीज और न्यूरो मस्कुलर की समस्या है। सांस लेने में दिक्कत हो रही है। ऐसे में फिर उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया है।


बाई-पैप और वेंटिलेटर में अंतर


विशेषज्ञों के मुताबिक बाई-पैप और वेंटिलेटर दोनों मैके निकल वेंटिलेशन मशीनें हैं। मरीज यदि गंभीर हालत में है और बेहोशी में नहीं है। मगर, सांस लेने में असमर्थ है। कार्बन डाई ऑक्साइड बाहर नहीं निकाल पा रहा है तो बाई-पैप मशीन का सपोर्ट लगाया जाता है। इसमें मुंह-नाक पर मास्क लगाकर प्रेशर में ऑक्सीजन दी जाती है। वहीं, मरीज में बेहोशी आने लगे, शरीर में अम्लता बढ़े, कॉर्बन डाई ऑक्साइड और बढ़ने लगे तो मरीज अति गंभीर होने लगता है। ऐसी स्थिति में उसे वेंटिलेटर सपोर्ट ही देना पड़ता है। इसमें मरीज के गले के पास ट्रैकियोस्टमी की जाती है। उसमें इंडोट्रैकियल ट्यूब डाल दी जाती है। इसके जरिए सीधे ऑक्सीजन पहुंचाई जाती है।


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