अखिलेश जायसवाल
नई दिल्ली/लखनऊ। हिंदी भारत की सामान्य भाषा है। जिसे आमतौर पर सभी जगह इस्तेमाल किया जाता है। इन सब के बाद भी यदि लोग हिंदी में फेल होते है, तो बहुत गंभीर समस्या है। दरअसल हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यूपी बोर्ड परीक्षा में 8 लाख परीक्षार्थी हिंदी विषय में फेल हो गए है। यूपी में जिस तरह से नतीजे सामने आए है। इससे एक बात तो साफ है कि हिंदी सिर्फ और सिर्फ परीक्षा दिलाने के लिए एक विषय बनकर रह गई।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के 10 वीं और 12 वीं के आठ लाख बच्चे हिंदी में फेल हुए है। फेल होने वाले करीब 5 लाख 27 हजार बच्चे 10वीं के और 2 लाख 69 हजार बच्चे 12 वीं के हैं। इस संबध में विशेषज्ञों का कहना है कि यूपी बोर्ड में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का हिंदी पाठ्यक्रम अन्य राज्यों के बोर्ड की तुलना में काफी अलग है.। जिसमें अवधी व ब्रज भाषाओं के कवि, लेखक व उनकी कृतिया शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि 600 वर्ष पूरानी हिंदी भाषा छात्रों को कठिन लगती है और इसे पढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। तुलसीदास, कबीरदास, रसखान, मीराबाई के साथ संस्कृत व व्याकरण बच्चों को समझाना आसान नहीं है। दूसरी ओर हिंदी विषय के शिक्षकों की कमी है।
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