वॉशिंगटन। अमेरिका ने विदेशों छात्रों को राहत देते हुए वह आदेश वापस ले लिया है, जिसमें कहा गया था ऑनलाइन क्लास लेने वाले छात्रों को उनके देश वापस जाना होगा. अमेरिकी इमीग्रेशन और कस्टम विभाग ने मंगलवार को यह जानकारी दी है, ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से भारतीय स्टूडेंट सहित बड़ी संख्या में छात्रों को राहत मिली है, पिछले हफ्ते इमीग्रेशन और कस्टम विभाग ने यह घोषणा की थी कि नॉन इमिग्रेंट F-1 और M-1 छात्र जिनकी कक्षाएं पूरी तरह से ऑनलाइन हो रही हैं, उन्हें अब देश में रहने की इजाजत नहीं होगी. ऐसे जो भी स्टूडेंट अमेरिका में हैं, उन्हें वापस अपने देश जाना होगा या ऐसे स्कूल में दाखिला लेना होगा जहां ऑफलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी’ |
इस आदेश के बाद ट्रंप प्रशासन की आलोचना शुरू हो गई थी और कुछ संस्थानों ने इसके खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें हार्वर्ड, मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भी शामिल हैं, इसी के चलते सरकार को पीछे हटना पड़ा है, सरकार की तरफ से कहा गया है कि चूंकि इस फैसले को अदालत में चुनौती दी गई है, इसलिए फिलहाल इस पर रोक लगा दी गई है, गौरतलब है कि अधिकांश अमेरिकी कॉलेज और विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों से मिलने वाली भारी-भरकम फीस पर निर्भर हैं, ऐसे में यदि सरकार के आदेश के चलते उन्हें वापस अपने देश लौटना पड़ता है, तो संस्थानों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा, इसीलिए उन्होंने सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दी है, उनका आरोप है कि प्रशासन ने यह आदेश बिना किसी सूचना के दिया, इससे ऐसा लगता है कि कॉलेज और विश्वविद्यालयों पर कक्षाएं फिर से खोलने का दबाव बनाया जा रहा है |
मामले की सुनवाई के दौरान, जिला जज एलीसन बरोज ने कहा कि सरकार ने अपना पुराना फैसला रद्द कर दिया है और कार्रवाई को तुरंत रोकने पर भी सहमति दे दी है, वहीं, सरकार के वीजा संबंधी नियमों को अलग से चुनौती देने वाले कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल जेवियर बेसेरा ने कहा, ‘ट्रंप प्रशासन के मनमाने फैसलों ने छात्रों और पूरे समुदाय के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दिया है, इस संकट की घड़ी में सरकार को लोगों के जीवन को खतरे में डालकर संसाधनों को बर्बाद करने की जरूरत नहीं है’।
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