नई दिल्ली/ बीजिंग। भारत-चीन में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच जैसे ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन से निपटने के लिए फौज बढ़ाने का बयान दिया, वैसे ही चीन के सुर बदल गए। चीन को ये डर सताने लगा कि अगर हिंद-प्रशांत में भारत और अमेरिका मिल गए तो उसकी मुश्किल बढ़ जाएगी. लिहाजा, चीन का मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स अब भारत की तारीफ कर रहा है। उसका कहना है कि भारत अमेरिका के साथ नहीं जाएगा क्योंकि वो कूटनीतिक स्वतंत्रता पसंद करता है। अमेरिका के ताजा बयान के बाद भारत के साथ लद्दाख में भिड़े चीन को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं भारत और अमेरिका उसके खिलाफ लामबंद ना हो जाएंं। चीन के इस डर को फाइनेंशियल टाइम्स के एक स्तंभकार गिडोन रैचमैन ने बढ़ा दिया है। उन्होंने लिखा कि भारत ने नए शीत युद्ध में एक पक्ष को चुन लिया है। ये चीन की मूर्खता है कि वो अपने प्रतिद्वंद्वी को अमेरिका के पाले में डाल रहा है। इस बयान से चीन तिलमिला गया. उसे एहसास हो गया कि अमेरिका की एक चाल से पूरा समीकरण उसके खिलाफ बनने लगा है।उसका सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स इस दलील को खारिज करने में जुट गया।
ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि एक वक्त था जब भारत-चीन के बीच तनाव एक बड़ा खतरा था। भारत उस वक्त भी किसी देश पर निर्भर नहीं हुआ इसलिए ये तर्क बिल्कुल गलत है कि मौजूदा सीमा तनाव में भारत किसी एक गुट के साथ जाने के लिए मजबूर हो जाएगा। चीन की पूरी कोशिश है कि भारत किसी भी सूरत में अमेरिका से हाथ ना मिलाए। चीन को अच्छी तरह मालूम है कि भारत और अमेरिका साथ आए तो दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वो बुरी तरह घिर जाएगा। चीन को भारत और अमेरिका की दोस्ती का डर इस कदर सता रहा है कि वो उसमें दरार डालने के लिए रूस का जिक्र कर रहा है। चीन के सरकारी मुखपत्र का कहना है कि रूस से हथियारों का सौदा कर भारत ने अमेरिका को बता दिया है कि वो उसे कितनी अहमियत देता है। यही नहीं उसने यहां तक कह दिया कि भारत और अमेरिका एक दूसरे का महज इस्तेमाल करते हैं। भारत पाकिस्तान पर काबू पाने के लिए अमेरिका से करीबी बढ़ाता है दूसरी तरफ अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की नकेल कसने के लिए भारत का इस्तेमाल करता है।भारत-अमेरिका की दोस्ती में दरार डालने की बेचैनी में चीन के सरकारी मुखपत्र ने यहां तक लिख दिया कि भारत को अच्छी तरह मालूम है कि अमेरिका उसके लक्ष्य को पूरा करने में उसकी मदद नहीं करेगा। साफ है कि चीन अब अपने आप को बेहद असुरक्षित महसूस करने लगा है। एक तरफ भारत ने रूस के साथ हथियारों की डील कर चीन की चिंता बढ़ा दी है तो दूसरी तरफ भारत समेत अपने मित्र देशों के समर्थन में अमेरिका के ऐलान ने उसकी नींद उड़ा दी है।
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