गुरुवार, 25 जून 2020

पहली बार मज़दूरों का सुख-दुख जानेंगे

नई दिल्ली। पीएम नरेन्द्र मोदी लॉकडाउन के बाद पहली बार मज़दूरों से बात करेंगे और उनका सुख-दुख जानेंगे। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी वीडियो कांफ्रेंस से जुड़े रहेंगे। 26 जून को मोदी यूपी के कुछ ख़ास लोगों से उनके मन की बात जानेंगे। ये वैसे लोग हैं जो लॉकडाउन में बेरोज़गार हो गए थे। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो महाराष्ट्र और गुजरात में काम करते थे। जब वहां फैक्ट्ररियां बंद हुईं तो अपने घर लौट आए।


लेकिन यूपी सरकार की मदद से इन्हें काम मिल गया है। योगी सरकार का दावा है कि 1 करोड़ 25 लाख लोगों को लॉकडाउन के समय से ही रोज़गार मिल गया है। शुक्रवार को सुबह 11 बजे छह ज़िलों के कुछ लोगों से मोदी बातचीत करेंगे। ये पहला मौक़ा होगा जब प्रधान मंत्री लॉकडाउन के बाद सीधा संवाद करेंगे। लॉकडाउन के दौरान बाहर से लोगों को अपने यहां लाने की शुरुआत सबसे पहले योगी आदित्यनाथ ने की थी। हरियाणा बस भेज कर उन्होंने मज़दूरों को घर बुलवाया था। इसके बाद तो कुछ और राज्यों में भी बसें भेजी गई थीं। जब श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलने लगे तो लाखों लोग यूपी आए. क़रीब 36 लाख प्रवासी लोग यूपी में अपने घर लौटे. तब सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था ये लोग हमारी ताक़त हैं। हमारी पूंजी हैं।


सीएम योगी ने वादा किया था ऐसे लोगों के उनके घर के पास ही रोज़गार देने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए देश में पहली बार यूपी में स्किल मैपिंग का काम शुरू हुआ। डाटा तैयार किया गया कि कौन लोग किस तरह का काम करते हैं।जैसे बढ़ई, लुहार, सोनार, दर्ज़ी, कंप्यूटर रिपेयर करने वाले, गाड़ी की मरम्मत का काम करने वाले, राज मिस्त्री जिनके पास कोई हुनर नहीं है उनमें से कुछ को मनरेगा का काम दिया गया. कुछ लोगों को रियल एस्टेट में काम मिला। इसके लिए रियल एस्टेट डेवलपरों के संगठन नरडेका से समझौता किया गया. इसे रोज़गार अभियान नाम दिया गया है। राज्य के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी बताते हैं कि शुरूआत में 31 ज़िलों में ये योजना शुरू की गई है।


 


अहमदाबाद से राजकुमार साहनी मई के शुरूआत में ही अपने घर गोरखपुर आ गए थे। वे जिस फ़ैक्ट्री में काम करते थे, बंद हो गया था। अब आगे क्या करते, परिवार कैसे चलाते? यूपी सरकार की मदद से उन्हें घर के पास ही काम मिल गया। वे बोरे बनाने की फ़ैक्ट्री में काम कर रहे हैं. अहमदाबाद में भी वे यही काम किया करते थे। कुछ ऐसा ही कहानी गुजरात से लौटे विजेंद्र पाल की भी है। उन्हें भी काम मिल गया है। यूपी में क़रीब 90 लाख छोटे और लघु उद्योग हैं। योगी सरकार का दावा है कि अगर इनसे एक भी आदमी को जोड़ दिया गया तो 90 लाख को रोज़गार मिल जाएगा। नोएडा में गार्मेंट्स की क़रीब 3500 फ़ैक्टरियाँ हैं। जिनमें दो लाख लोगों की ज़रूरत थी। स्किल मैपिंग में प्रवासी लोगों में से 64000 दर्ज़ी पाए गए। यूपी में एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल बताते हैं कि हमने गार्मेंट्स कंपनियों को उनकी ज़रूरत के हिसाब से लोग दे दिए हैं। वे कहते हैं कि जिसको जिस काम का अनुभव है, उसे हम उसी सेक्टर में काम दिलाने में लगे हैं. जो लोग अपना काम धंधा खुद करना चाहते हैं, उन्हें बैंकों से कम ब्याज पर लोन दिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि बाहर कमाने वाले जो लौटे हैं उन्हें अब फिर बाहर नहीं जाने देंगे। सीएम योगी ने कहा था कि वे पीएम नरेन्द्र मोदी के संकट को अवसर में बदलने के मंत्र को सच साबित कर दिखाएंगे।


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