एक महिला अधिकारी के मोह में एक पूर्व सीओ से नहीं छूट रहा पलिया
अपनी सर्किल लावारिस छोड़कर रोज आ जाते हैं पलिया के प्राइवेट गेस्ट हाउस
यहां रहने से सर्किल में अपने समय के चहेतों के लिए करते हैं दखल
दखल बनता है विवाद की वजह, फिर शुरू हो जाती है राजनीति
सर्किल में दखलंदाजी से नहीं हो पाती ढंग से पुलिसिंग
क्या उनकी सर्किल में परिवार संग रहने को नही है कोई जगह
आदर्श श्रीवास्तव
लखीमपुर(खीरी)। पलिया सर्किल में अरसे से तैनात रहे एक सीओ से पलिया का मोह नहीं छूट रहा, उनका तबादला महीनों पहले जिले की पचासों किलोमीटर दूर जिले की एक तहसील में हो गया था। वह एक प्राइवेट कंपनी के गेस्ट हाउस रहते थे माना जा रहा था कि वह जल्द यहां से परिवार समेत चले जायेंगे लेकिन ऐसा नही हुआ, माना जाने लगा कि शायद बच्चे की पढ़ाई की वजह से ऐसा हो लेकिन वह सत्र भी बीत गया लेकिन उन्होंने आवास नहीं छोड़ा तब इसको लेकर तरह तरह की चर्चा होने लगी। इसमें प्रमुख चर्चा थी कि यहाँ तैनात एक महिला अधिकारी जिनके साथ उनकी जोड़ी उस समय सुर्खियों में रहती थी। महिला अधिकारी अभी यहीं तैनात हैं। पूर्व सीओ रोजाना पचासों किलोमीटर का सफर तय करके अपनी सर्किल को लावारिस छोड़ जब यहां सिर्फ रहने को आते हों तो सवालों का उठना लाजिमी है की आखिर ऐसा क्या है जो इतनी दूर खींच लाता है। बात यहीं नहीं खत्म होती आगे भी कुछ ऐसा है जो पुलिस के लिए सिरदर्द बना है खासकर यहाँ तैनात सीओ के लिये, पूर्व साहब जब रात से लेकर सुबह तक यहीं रहते है तो उनकी तैनाती के समय के चहेते पुलिसकर्मी अपनी अपनी जायज नाजायज सिफारिश भी कराते है और उस समय के संपरकी और मिलने जुलने वाले लोग भी अपनी सिफारिश उनके जरिये वर्तमान सीओ से करवाते हैं इसमे कुछ जायज होती हैं और कुछ नाजायज भी। अगर पलिया सर्किल के वर्तमान सीओ ने न नुकुर की तो यहां से राजनीति शुरू हो जाती है और पूरा पुलिस विभाग दो खेमों में बंट जाता है एक तरफ वो कर्मी होते हैं जो पदाधिकारी यानी वर्तमान अधिकारी के निर्देश पर कार्य कर डियूटी को अंजाम देते है तो दूसरी तरफ वो पुलिस कर्मी जो उन साहब के लिए कार्य करते है जो अब यहां इस पद पर नहीं हैं। फिर चलने लगती हैं एक सर्किल दो अधिकारियों द्वारा। एक सर्किल का ऑफिस दिन में चलता है तो दूरी सर्किल का रात से सुबह तक। इससे वर्तमान सीओ के लिए मुसीबतें खड़ी हो जाती है और न जाने क्या क्या शिकायतें शुरू हो जाती है। जिन पुलिसकर्मियों की नाजायज सिफारिशें पूर्व सीओ पूरी नही कर पाते है उनकी सिफारिश वो महिला अधिकारी पूरी कराने के लिए वर्तमान सीओ पर दबाव बनाने लगती हैं अगर पूरी हुई तो ठीक नहीं तो एक नई जंग छिड़ जाती है। यही वजह है कि पलिया सर्किल अब विवादों से घिर गई है और पलिया आने वाले हर सीओ के लिए यह एक बड़ी मुसीबत है। क्या पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को इसकी खबर नहीं है कि पलिया सर्किल एक पूर्व सीओ की दखलंदाजी से बदनाम हो रही है या फिर उच्चाधिकारी जानबूझकर पलिया सर्किल को बदनाम कर विवादों की जड़ बना रहे हैं। बताते हैं कि पलिया के यह पूर्व सीओ जिले में करीब 3 साल पूरे कर चुके है। एक पुलिस का जिम्मेदार अधिकारी अपनी सर्किल से पचासों किलोमीटर दूर सिर्फ रहने के लिए आता हो तो उसकी वर्तमान सर्किल की सुरक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा, अगर कोई बड़ी वारदात हो जाये तो साहब को पहुंचने में ही घंटों लग जाएंगे,, फिर भी पुलिस के आलाधिकारी खामोश हैं तो यह भी अपने आप मे एक बड़ा सवाल है।
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