शनिवार, 6 जून 2020

लोनी विधायक की उपेक्षा करना अनुचित

लोनी विधायक की उपेक्षा करना अनुचित 

अकाशुं उपाध्याय 

गाजियाबाद। उत्तर-प्रदेश विधानसभा में मौजूदा सभी विधायकों में यदि लोकप्रियता की प्रती-स्पर्धा कराई जाए, तो निश्चित रूप से लोनी विधायक नंदकिशोर को संभावित प्रथम स्थान ही प्राप्त होगा। भाजपा पार्टी की योगी सरकार को भ्रष्टाचार के संबंध में आईना दिखाने का कार्य करने का मादा रखना, सबके बस की बात नहीं है। क्षेत्र की समस्याओं पर इतनी पैनी दृष्टि बनाए रखना भी सबके बस की बात नहीं है। जिसके चलते विधायक को पाकिस्तान से फोन पर धमकी भी मिली है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि विरोधी शक्तियां इस लोकप्रियता से खिन्न हो गई है। हालांकि धमकीयां देना एक कायरता पूर्ण कार्य है। जिसकी सभ्य समाज निंदा करता है।

 परंतु इसके विपरीत कोरोना महामारी के कारण 'लॉक डाउन' में उत्पन्न कठोर परिस्थितियों में विधायक और उनके सहयोगियों के द्वारा किया गया राहत कार्य सदैव सराहना पाता रहेगा। इस बीच उन्होंने खुद बढ़-चढ़कर राहत कार्यों में भाग लिया है। विधायक के द्वारा अपने दायित्व का निर्वाह करने में कोई चूक नहीं की गई। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के द्वारा अपने कार्य में अवश्य चूक की गई है। लोनी विधायक की कोरोना जांच में इतनी देरी करने के पीछे विभाग की क्या मंशा है? यह तो स्पष्ट नहीं है। किंतु जनप्रिय विधायक की उपेक्षा करना पूरी तरह अनुचित है। विभाग और प्रशासन के लिए यह गले की फांस न बन जाए। जन सेवा में रत सभी लोगों की जांच प्राथमिकता से होनी चाहिए थी। किंतु यह व्यवस्था हमारी अक्षमता उसे बाहर है। परंतु स्थानीय जनप्रतिनिधियों की जांच तो प्राथमिकता से होनी चाहिए थी। उनका जीवन जनता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि यह जिला प्रशासन की अपनी कार्यप्रणाली पर निर्भर करता है। हो सकता है जिला प्रशासन ऐसा करने की योजना पर कार्य कर रहा हो, समय अनुरूप भविष्य में उसे स्वरूपित करेगा।

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