केले की खेती से कैसे कमाता है लाखों रुपये?
श्रीनारद मीडिया
इंसान के अंदर जोश और जज्बा हो तो वह न सिर्फ अपनी मंजिल हासिल करता है, बल्कि औरों के लिए प्रेरणा का श्रोत बन जाता है। ऐसे ही प्रेरणा के श्रोत बने हैं यूपी में बरेली के दो किसान जो आपस में चाचा-भतीजे हैं। एमएससी की पढ़ाई करने के बाद खेती का ऐसा जुनून सवार हुआ कि लीक से हटकर वे केले की खेती-किसानी में उतरे और लाखों की कमाई करके युवाओं के लिए प्रेरणा श्रोत बन गए। उनका दावा है कि केले का उनका फार्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा है।
मूल रूप से शीशगढ़ इलाके के गांव कजियापुर सहोड़ा निवासी अरविंद गंगवार व उनके चाचा धमेंद्र सहाय कई साल पहले महाराष्ट्र गए थे। वहां केले की खेती देखकर मन में नौकरी-चाकरी या पारंपरिक खेती की बजाय केले की खेती करेंगे। आज खेती उनका पैशन है। वे आस-पास के करीब 150 लोगों को इसके माध्यम से रोजगार भी दे रहे हैं।
रिश्ता और व्यापार की कहानी
अरविंद का कहना है कि वह और उनके चाचा धर्मेंद्र सहाय हम उम्र हैं। महाराष्ट्र में जब केले की खेती करने वाले किसानों की समृद्धि देखी तो उनका विचार ही बदल गया। वापस आकर गांव में 27 एकड़ जमीन में केले का बाग लगाया।
योग्यता आ रही खेती में काम
धर्मेंद्र सहाय ने इन्वायरमेंट साइंस में तो उनके भतीजे अरविंद गंगवार ने एनिमल साइंस विषय से एमएससी किया। इसके बाद नौकरी की दौड़ शुरू होती कि खेती की ओर उनका रुझान हो गया। आज उनकी योग्यता खेती के काम आ रही है और आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं।
विदेशों से फोन करके लोग ले रहे खेती के टिप्स
धर्मेंद्र और अरविंद से खेती के टिप्स लेने के लिए देश-दुनिया से फोन आने लगे हैं। धर्मेंद्र का कहना है कि उनके पास कई बार विदेशों और देश के उत्तराखंड, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों से फोन आए। कई बड़े किसान विजिट और प्रशिक्षण को भी आ चुके हैं।
एक पेड़ में आता है दो मीटर लंबा केले का गुच्छा
केला की खेती में पानी की अधिक आवश्यकता होती है। एक फीट केले का पौधा लगाया जाता है। 4 से 5 महीने में पौधा करीब 15 फीट ऊंचा हो जाता है। फूल आने के बाद दो महीने में दो मीटर लंबा तक केले का गुच्छा निकलता है। जुलाई से फसल तुड़ाई शुरू होगी।
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