कानपुर शेल्टर होम केस: प्रियंका गांधी बोलीं- मैं इंदिरा की पोती हूं, BJP की अघोषित प्रवक्ता नहीं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानपुर शेल्टर होम केस मामले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को कहा कि वह इंदिरा गांधी की पोती हैं, कोई अघोषित भाजपा प्रवक्ता नहीं। प्रियंका गांधी ने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘जनता के एक सेवक के रूप में मेरा कर्तव्य यूपी की जनता के प्रति है। मेरा कर्तव्य सच्चाई को उनके सामने रखने का है। किसी सरकारी प्रॉपेगेंडा को आगे रखना नहीं है। यूपी सरकार अपने अन्य विभागों द्वारा मुझे फिजूल की धमकियां देकर अपना समय व्यर्थ कर रही है।
प्रियंका गांधी ने आगे लिखा कि जो भी कार्रवाई करना चाहते हैं, बेशक करें। मैं सच्चाई सामने रखती रहूंगी। मैं इंदिरा गांधी की पोती हूं, कुछ विपक्ष के नेताओं की तरह भाजपा की अघोषित प्रवक्ता नहीं। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित बालिका संवासिनी गृह में एक के बाद एक 7 युवतियों के गर्भवती पाए जाने और 57 के कोरोना संक्रमित (COVID-19 Positive) होने का मामला सामने आया था।
जो भी कार्यवाही करना चाहते हैं, बेशक करें। मैं सच्चाई सामने रखती रहूँगी। मैं इंदिरा गांधी की पोती हूँ, कुछ विपक्ष के नेताओं की तरह भाजपा की अघोषित प्रवक्ता नहीं।
शेल्टर होम की बच्चियों के गर्भवती और कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस भेजा था। आयोग ने सूबे के मुख्य सचिव और डीजीपी से इस मामले में जवाब मांगा गया था। इसके अलावा इस मामले में राज्य महिला आयोग ने भी कानपुर डीएम से रिपोर्ट मांगी थी।
सख्त कार्रवाई की मांग
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में राजकीय बालिका संरक्षण गृह में 7 लड़कियों के प्रेग्नेंट होने के मामले में सियासी हमलों के बीच प्रयागराज में अधिवक्ता डॉक्टर फारुख खान ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। पत्र में चीफ जस्टिस से मामले का स्वत संज्ञान लेकर कड़े कदम उठाने की मांग की गई है। अधिवक्ता ने इसे गंभीर अपराध बताते हुए दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि कानपुर सेंटर होम की सभी नाबालिग लड़कियां कोरोना संक्रमित मिली हैं। एक लड़की एचआईवी और एक लड़की हेपिटाइटिस सी से संक्रमित है। पत्र में लड़कियों के साथ हुए अन्याय को जुवेनाइल जस्टिस के खिलाफ बताया गया है। पत्र में अधिवक्ता ने शेल्टर होम की व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
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