- मई में दिल्ली में कोरोना से 473 मौतें हुई थीं, लेकिन 15 जून तक कुल 1400 लोग इस संक्रमण के चलते मारे गए हैं, जून में ही 50 हजार मरीज बढ़े
- मरीजों का रिकवरी रेट भी 41% से बढ़कर 58% पर आया, मरीजों की वृद्धि दर भी 5.8 फीसदी से घटकर 4.9 फीसदी हो गई
नई दिल्ली। दिल्ली और मुंबई के बीच कोरोना के बढ़ते आंकड़ों की ऐसी रेस चल रही है जिसे कोई भी जीतना नहीं चाहेगा। यही दो महानगर हैं जो कोरोना संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। देश भर में कोरोना के जो कुल मामले सामने आए हैं, उनमें से लगभग 30 प्रतिशत सिर्फ इन दो शहरों से ही हैं।
दिल्ली में कोरोना का पहला मामला 2 मार्च को सामने आया था। वहीं, मुंबई में पहला मामला इसके 9 दिन बाद दर्ज किया गया, लेकिन फिर यह संक्रमण बेहद तेजी से फैला। स्थिति यह बन पड़ी कि मई के आखिर तक मुंबई में कुल 39,686 मामले दर्ज हो चुके थे। जबकि इस वक्त तक दिल्ली में संक्रमितों की कुल संख्या 19,844 थी। यानी मुंबई की तुलना में लगभग आधी। यह वो समय था जब तक देशभर में लॉकडाउन का सख्ती से पालन हो रहा था। लेकिन, जून आते-आते लॉकडाउन में ढील दिए जाने की आवाजें तेज होने लगी थीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इनमें मुख्य थे जो लॉकडाउन को खत्म करने की जोर-शोर से पैरवी कर रहे थे। लेकिन लॉकडाउन का हटना सबसे घातक दिल्ली के लिए ही साबित हुआ है। 26 जून तक दिल्ली में कुल 2 हजार 429 लोग कोरोना के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं।
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