नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना महामारी के इलाज में कोताही और शवों की बदइंतजामी को लेकर स्वतः संज्ञान मामले में सभी राज्यों में जांच आदि में एकरूपता लाने सहित कई दिशानिर्देश शुक्रवार को जारी किए।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की खंडपीठ ने कोरोना जांच के लिए उचित दर तय करने तथा देश भर में इस संबंध में एकरूपता लाए जाने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि देशभर में कोविड टेस्ट की कीमत एक समान होनी चाहिए। यह कहीं 2200 रुपये है तो कहीं 4500 रुपये है। न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा कि कोरोना मरीजों की देखभाल और शवों को संभालने में खामियों को दूर करने, सभी वार्डों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने, विशेषज्ञों की टीम को अस्पतालों का दौरा करना चाहिए और वहां जरूरी उपाय करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। न्यायालय ने दिल्ली सरकार से पूछा कि ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए पांच साल पहले मिले 60 करोड़ रुपए का इस्तेमाल अब तक क्यों नहीं किया गया? शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार के उस आदेश पर नाराजगी जताई जिसमें मरीजों या उनके रिश्तेदारों को कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं मिल सकती है। न्यायालय ने कहा कि मरीजों और रिश्तेदारों को ये रिपोर्ट मिलनी चाहिए। न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से अपने आदेश की समीक्षा करने के लिए कहा है।
ग़ौरतलब है कि कोरोना के इलाज में फैली अव्यवस्था पर न्यायालय ने खुद संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार और दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और प.बंगाल को नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने आज सभी के जवाब सुनने के बाद कहा कि विस्तृत आदेश वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
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