शुक्रवार, 12 जून 2020

'चांद' पर पेशाब करने वाला इंसान

नई दिल्ली। भारत आज चंद्रमा पर नया इतिहास रचने जा रहा है। शुक्रवार रात को चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर अपना कदम रखेगा। इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के नाम पर एक और कामयाबी दर्ज हो जाएगी।


चंद्रयान-2 की लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू हो चुका है, तो इसी कड़ी में आज हम आपको चांद पर मानव मिशन से जुड़ी एक अनोखी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं। जब भी कोई चांद पर किए गए मिशन का जिक्र करता है तो सबसे पहले हमारे दिमाग में अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रॉन्ग का नाम आता है। अपोलो 11 के मिशन पर गए नील आर्मस्ट्रॉन्ग, माइकल कॉलिन्स, और बज एल्ड्रिन ने 20 जुलाई 1969 को चांद की सतह पर लैंडिंग की थी।


अपोलो 11 मिशन पर गए नील आर्मस्ट्रांग ने अपना पहला कदम बाहर निकाला और इसी के साथ वह चांद पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के बाद बज एल्ड्रिन ने भी चांद पर अपना कदम रखा। भले ही बज एल्ड्रिन ने चांद पर सबसे पहले कदम रखने का रिकॉर्ड नहीं बनाया लेकिन वह पहले ऐसे इंसान बन गए जिसने चांद पर पेशाब किया। ये तो जाहिर सी बात है एल्ड्रिन ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया था। दरअसल जब वह अपोलो 11 लैंडर की सीढ़ी से उतरने की कोशिश कर रहे थे, उसी वक्त उनके स्पेस सूट में रखे एक खास बैग से पेशाब निकलकर चांद पर फैल गया। जिससे वह थोड़ी देर के लिए घबरा गये।


दुर्भाग्य से एल्ड्रिन ने ल्यूनर मॉड्यूल की बहुत धीरे से लैंडिंग की जिससे मॉड्यूल जरूरत के हिसाब से सिकुड़ नहीं सका। नतीजा यह हुआ कि ल्यूनर मॉड्यूल से चांद की सतह तक जो एक छोटा कदम होता, वह एक छलांग में बदल गया। लैंडिंग के बाद इस झटके की वजह से एल्ड्रिन ने जो यूरीन इकठ्ठा करके एक डिवाइस में रखी थी, वह टूट गई और यूरीन उनके एक बूट्स पर गिर गया। जब एल्ड्रिन चांद की सतह पर चले तो ये वहां भी फैलता गया।


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