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हालांकि हमारे भारतीय सेना के घातक कमांडो वहां पहले से ही मौजूद हैं। सेना की हर यूनिट में घातक कमांडो होते हैं, जो हथियारों के साथ लड़ाई के अलावा बिना हथियारों की लड़ाई में भी माहिर होते हैं। चीन अपने इस कदम के जरिए भले ही माइंड गेम खेलने की कोशिश कर रहा हो, लेकिन भारतीय सेना में 'घातक' कमांडो पहले से तैनात हैं। भारतीय सेना के घातक कमांडो बिना हथियारों की लड़ाई में माहिर हैं और दुश्मन को आमने सामने की लड़ाई में चित कर सकते हैं।
15 जून को हुई खूनी झड़प से पहले भी चीन ने तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती लड़ाकों को सेना की डिवीजन में तैनात किया था। भारत और चीन के बीच 1996 में हुए समझौते के मुताबिक एलएसी से दो किलोमीटर के दायरे में न फायरिंग की जाएगी और न ही किसी भी तरह के खतरनाक रासायनिक हथियार, बंदूक, विस्फोट की इजाजत होगी. इसलिए यहां हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। 15 जून को हुई खूनी झड़प के दौरान भी दोनों तरफ से किसी ने भी हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया।
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