कवर्धा। वन क्षेत्रों में मानवीय बसाहट, अतिक्रमण, अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, वन्य प्राणियों का अवैध शिकार तथा मानव विकास के लिए जंगलों का गैर वानिकी कार्य में व्याप्वर्तन के चलते वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक आवास और प्राकृतिक संसाधन सीमित होते जा रहे हैं। इसके चलते वन्य प्राणी वनों से निकलकर मानवीय बसाहट वाले क्षेत्रों में आए दिन भटक कर आ जाते हैं, जिससे मानव- वन्य प्राणी द्वंद की स्थिति निर्मित होती है। इस द्वंद में कभी मनुष्य की जान जाती है, तो कभी वन्य प्राणी की जान जाती है। कभी फसल हानि होती है, तो कभी संपत्ति की नुकसानी होती है। ऐसे में प्राकृतिक संतुलन के साथ-साथ ऐसे बहुत से सुनियोजित विकास कार्यों की और सावधानियों की आवश्यकता है, जिसमें मानव-वन्य प्राणी द्वंद को कम से कम किया जा सके। कबीरधाम जिले के वनमण्डाधिकारी श्री दिलराज प्रभाकर ने आज वन्य प्राणियों की सुरक्षा और बचाव के लिए विस्तार से चर्चा की। उन्होने यह भी बताया कि जंगल में अलग भालू यहां अन्य हिंसक प्राणी दिख जाए,तो हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। उन्होने भालू के हमले से बचाव के लिए अनगिनत उपाय भी बताए।
वनमण्डाअधिकारी श्री दिलराज प्रभाकर ने चर्चा करते हुए बताया कि कबीरधाम जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में मानसून के आगाज के साथ ही वन्य प्राणी भालू भी इन दिनों जंगल और मानवीय आवास के सीमावर्ती क्षेत्रों में वन विभाग की टीम को रात्रि गश्त एवं विभिन्न क्षेत्रीय दौरों के दौरान देखने को मिल रहा है। कबीरधाम में कवर्धा वन मंडल अंतर्गत वन विभाग के द्वारा आमजन में जन-जागरूकता लाने के लिए शासन के समय-समय पर निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार भालू के हमले से कैसे बचें बाबत जानकारी दी गई है।
श्री प्रभाकर ने बताया कि भालू के अधिकतम हमले गर्मी के महीनों में होते हैं और उसके बाद मानसून के महीनों में भालू हमले की घटनाएं जंगल तथा जंगल के निकटवर्ती इलाकों में होती है। मानसून के महीनों में अधिकतम हमले जून- जुलाई-अगस्त में मशरूम संग्रहण, जलाऊ लकड़ी संग्रहण, खेती के कार्य, पशुओं की चराई, खुले में शौच, आदि, के दौरान होते हैं। याद रखें, भालू अधिकतर बिना किसी उद्देश्य से हमला करता है। भालू तब हमला करता है, जब अचानक से भयभीत हो जाए या अचानक से चैंका दिया जाए या अपने बच्चों की सुरक्षा कर रहा हो।
घातक वन्य प्राणियों से कैसे बचें यह जानना जरूरी है
घातक व हिंसक वन्य वाणियों से कैसे बचे और क्या सावधनी बरती चाहिए। सावधानियों में, जंगलों में अकेले ना घूमे। अकेले घूमने से भालू को आपके आने की भनक नहीं लग पाती और अचानक आप उसे देखें, तो वह अपने बचाव में हमला कर सकता है। यदि, जंगल में अकेला जाना पड़े, तो अपने साथ एक लंबा डंडा, आवाज करने के लिए घंटी या सीटी जरूर रखें। डंडे को जमीन पर लकड़ियों पर या झाड़ियों पर ठोकते हुए आगे बढ़े। जंगल में जब भी जाना हो, समूह में जाएं और पर्याप्त आवाज करते चाहिए। जिससे भालू को आपके आने का संकेत मिल जाए और उसे वहां से दूर जाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.