लखनऊ। कोरोना महामारी के कारण वित्तीय दिक्कतों में जूझ रही राज्य सरकार ने नगर प्रतिकर भत्ता (सीसीए) व सचिवालय भत्ता सहित छह भत्तों को समाप्त करने का फैसला लिया है। वित्त विभाग से जल्द ही इससे संबंधित शासनादेश जारी होगा। बताया जाता है कि राज्य सरकार ने कैबिनेट बाई सकुर्लेशन इस पर मुहर भी लगा दी है। सरकार के इस फैसले की भनक कर्मचारी संगठनों को लग चुकी है।
कोविड से जंग के लिए वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में जुटी सरकार ने बीते 24 अप्रैल को नगर प्रतिकर भत्ता, सचिवालय भत्ता, अवर अभियंताओं को मिलने वाले विशेष भत्ता, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलने वाले रिसर्च, अर्दली व डिजाइन भत्ता तथा सिंचाई विभाग में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलने वाले आईएंडपी भत्ता और अर्दली भत्ता के साथ ही पुलिस विभाग के अपराध शाखा, अनुसंधान विभाग, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, आर्थिक अपराध अनुसंधान, सर्तकता अधिष्ठान, अभिसूचना सुरक्षा शाखा तथा विशेष जांच शाखा में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलने वाले विशेष भत्ता को स्थगित किया था। इन भत्तों का भुगतान एक अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थगित करने का आदेश जारी किया गया था। अब इन भत्तों को समाप्त कर दिया गया है।
इस संबंध में पूछे जाने पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना का कहना है कि छठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों में जो भत्ते समाप्त करने की सिफारिशें थी, उन्हें ही समाप्त करने का फैसला लिया गया है। इन भत्तों को केंद्र सरकार ने भी समाप्त किया है। राज्य कर्मचारियों को वेतन, डीए और एचआरए मिलता रहेगा। प्रदेश की आर्थिक गतिविधियां सुस्त हैं। तमाम दुश्वारियों के बाद भी कर्मचारियों को उनका वेतन समय से दिया जा रहा है और आगे भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अप्रैल माह में 12141 करोड़ राजस्व के सापेक्ष महज 1178 करोड़ राजस्व खजाने में आया।
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