केस्को एमडी अजय माथुर की ट्रांसफर पोस्टिंग की दोहरी नीति - कुछ अधिकारी चापलूसी के दम पर बने एम डी के दुलारे ?
आकाश मिश्रा
कानपुर। नगर केस्को विभाग में उपभोक्ताओं के लिए नियम कानून होता है पर अपने अधिकारों के लिए कोई नियम कानून नहीं होता है मार्च माह में कुछ अधिशासी अभियंताओं के स्थानांतरण के आदेश निर्गत हुए थे । जो आज तक हुए नही और ना ही आदेश निरस्त हुआ । यह बात तो स्पष्ट है कि वर्तमान एम डी के आँखो के तारे कुछ चापलूस और ख़ुशामत करने वाले अभियन्ता अधिकारी ही हैं ।
लगभग 4 वर्ष या उससे अधिक समय से एक ही खण्ड / उपखण्ड में तैनात कई अधिशासी अभियन्ता / सहायक अभियन्ता शायद केस्को प्रबन्धन को नज़र नही आते या इन लोगों पर पावर कॉर्परेशन की स्थानांतरण नीति लागू नही होती । सबसे सम्यक् उदाहरण तो 2015 आइडी वाले प्रोन्नत सहायक अभियन्ता रजनीश कुलश्रेष्ठ का है जो कि अवर अभियन्ता से प्रोन्नत होकर सीधे उसी डिविज़न के अधिशासी अभियन्ता बना दिए गये और कई सालो से आज तक अधिशासी अभियन्ता के चार्ज में ही हैं जबकि केस्को के तक़रीबन 25 से अधिक सहायक अभियन्ता इनसे वरिष्ठ होंगे । आज के समय में अत्यंत शर्मनाक है ये। जबकि हाल में ही 2014 बैच के सहायक अभियन्ता विपिन गंगवार को अधिशासी अभियन्ता का चार्ज देकर बिना किसी बात के वापस ले लिया ।
केस्को में वरिष्ठता का तो कोई सम्मान ही नही है । 2008 , 2012 , 2014 बैच के सहायक अभियंताओं के होते हुए इन लोगों को अधिशासी अभियन्ता का चार्ज ना देना और जो इनका अवर अभियन्ता रहा हो उसीको इन्ही में से एक का अधिशासी अभियंता बना देना अत्यंत शर्मनाक है । ये तो एक प्रकार का दोहरा रवैया है । और तो और मुख्यालय में अधिशासी अभियंताओं के होते हुए भी बिना किसी वजह एक कनिष्ठ अधिकारी को अधिशासी अभियन्ता बना देना संदेह पैदा करता है। एक बात तो तय है कि वर्तमान केस्को एम डी के कार्यकाल में चापलूस अधिकारियों की ही तूती बोलती है । फ़ील्ड में कौन अधिकारी क्या कर रहा है इनको इसकी कोई सही सूचना नही है । जैसा कुछ इनके आँख के तारे बने हुए अधिकारियों द्वारा इनको समझाया जाता है ये समझ कर अपनी राय बना लेते हैं। यह कार्यप्रणाली भी तों केस्को का बँटाधार कर उसको निजीकरण की ओर धकेल रही है । कर्मचारियों को अपने हितों को देखते हुए यह सोचना होगा कि कैसे इसका विरोध करें ? पिछले कई एम डी देखे परंतु निर्णय लेने में इतने अक्षम किसी को भी नही देखा । अगर कोई आई ए एस एम डी होता तब तत्काल ही निर्णय होते या तो हाँ या फिर ना ।
वर्तमान केस्को एम डी को इन ज्वलंत प्रश्नो पर गम्भीरता से मंथन करना चाहिये। जल्दी ही इस विषय पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा / ऊर्ज़ा सचिव अरविंद कुमार से भी वार्तालाप की जाएगी ।
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