अद्भुत यह परिवर्तन की बेला मंदिर मस्जिद में लगा है ताला देखो भई देखो ईश्वर की लीला पीने के लिए खुल गई मधुशाला
डॉ सुधाकर पांडेय
क्या मंदिर मस्जिद स्कूल कॉलेज से ज्यादा जरूरी है शराब की दुकान के कपाट खोलने केंद्र एवं राज्य सरकार का लॉक डाउन के 42 में दिन देश की जनता को पहला तोहफा दिया सोमवार को मदिरा की दुकान खोलने के पश्चात शाम होते होते प्रयागराज की सड़कों पर नमूना दिखने लगे किसी का पैर गटर में तो कोई बीच सड़क पर ही साइकिल से धड़ाम तो कोई कोरोना को भगाने को लेकर बीच सड़क बीच सड़क नशे में डांस करते दिखते नजर आया l
यह मधुशाला की ही कमाल है l निश्चित तौर पर घरों में चूल्हे नहीं जले गे घरेलू हिंसा होगी बच्चे बिन खाए सोएंगे सरकार द्वारा शराब की दुकान खोलने का फैसला गलत है या सही यह सरकार को सोचना होगा l हो सकता है सरकार अपनी आर्थिक स्थिति मदिरा के बहाने मजबूत करना चाह रही हो l कारण जो भी हो पर इस वैश्विक महामारी में जहां एक तरफ मंदिर के कपाट बंद हैं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है
इसमें शराब का दुकान खोलना यह दुर्भाग्यपूर्ण फैसला लग रहा है l जिस तरह सेदुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही हैं 42 दिन लाॅक डाउन रखने का क्या फायदा बीमारी अभी खत्म नहीं हुई है ना ही टली है बल्कि मुहावरे पर खड़ी है
सरकार को शराब के साथ साथ सुनार की दुकान भी खोलनी चाहिए क्योंकि लोगों के पास पैसे तो है नहीं घर के जेवर बेचकर ही शराब इस वक्त पी जा सकती है और शराबियों के सम्मान में सरकार को एक आदेश जारी करना चाहिए कि जब कोई शराब लेने दुकान पर पहुंचे तो ताली बजाकर उसका उत्साहवर्धन करें
क्योंकि वह देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने जा रहा है जीवन में पहली बार देखा है की शराबियों के सम्मान में पुलिस के जवान लाइन लगवाकर शराबी को आ रहे हैं यह पुलिस जवानों का अपमान है अपने निजी फायदे के लिए सरकार कुछ भी करने को तैयार हैं करोड़ों मजदूर जिनकी रोजी-रोटी के लाले पड़े हैं
लोग भुखमरी से मर रहे हैं शराब की दुकान खोलने से देश की महिलाएं चिंतित और भयभीत हैं महिलाओं का कहना है यह उचित समय नहीं है शराब की दुकान खोलने का
लोग महीनों से अपने कारोबार को बंद करके घर पर बैठे हैं जमा पूंजी खा रहे हैं शराब की दुकान खुलने से लोग अपने नशे को पूरा करने के लिए घरेलू हिंसा करेंगे एवं चोरी वा क्राइम में बढ़ोतरी होगी लोग अपने नशे को पूरा करने के लिए क्राइम करेंगे सरकार का यह फैसला जल्दी बाजी में लिया गया फैसला है स्थिति देश की पूर्ण रूप से नॉर्मल हो जाने के बाद ही शराब की दुकानें खोलने चाहिए सरकार को यह बात सही है कि नशे की चीजों में सरकार को बड़ा मुनाफा मिलता है लेकिन बड़ा मुनाफे के चक्कर में सरकार गलत फैसले ले रही है
शराब की दुकान खोलने से कहीं ज्यादा जरूरी गरीब मजदूर किसान छोटे कारोबारी की जिंदगी पुनः पटरी पर लौट आना है सरकार को अपने फैसले पर एक बार पुनः विचार करने की जरूरत है l
शराब लेने की बात पर पुलिस ने भी दे दी छूट.............
सोमवार था मंगलवार को जिस तरह से सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती रही पुलिस भी लाचार दिखी इतने दिनों से घरों में रहने की सलाह देने वाली पुलिस मूकदर्शक बनी रहे l वैश्विक महामारी में लॉक डाउन का कड़ाई से पालन करा रही पुलिस जब दारू की बोतल लेने जा रहे लोगों की भीड़ देखकर मूकदर्शक बनी रही l
सोशल डिस्टेंसिंग की लोग धज्जियां उड़ाते रहे पुलिस मूकदर्शक बनकर देखती रही पुलिस भी क्या करें वह लाचार है शासन प्रशासन का पालन करना उनकी मजबूरी है l जैसे ही लोग कहते कि दारू की बोतल लेने जा रहा हूं पुलिस अभी उनको बगल से जाने की इजाजत दे देती वसूल करके दारु की दुकान के सामने लाइन में लग जाते हैं
जैसे ही दारू की बोतल मिलती है वह माथे पर लगा कर खुशी खुशी अपने घर के लिए रवाना हो जाते l अब आम जनमानस को सोचना होगा कि दारू जरूरी है या जीवन l
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