क्राउन प्रिंस सलमान की निर्णायक भूमिका
लेकिन इसमें अमरीका के अलावा सऊदी अरब ने भी बड़ी भूमिका निभाई।
पुलवामा हमले के तुरंत बाद सऊदी के क्राउन प्रिंस सलमान ने पहले पाकिस्तान का दौरा किया और फिर भारत का।
रियाद। भारत के विदेशी मामलों के पंडितों ने नोट किया कि जहाँ सलमान ने कूटनीतिक 'टाइटरोप' चलते हुए पाकिस्तान में उनकी आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई में दी गई क़ुर्बानी की तारीफ़ की वहीँ भारत में उन्हें प्रधानमंत्री मोदी की इस बात से सहमत होने में कोई परेशानी नहीं हुई कि आतंकवाद को किसी भी तरह जायज़ नहीं ठहराया जा सकता।
यही नहीं सऊदी अरब के उप-विदेश मंत्री आदेल अल-ज़ुबैर ने इस्लामी देशों के सम्मेलन के दौरान तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात की. इस गतिरोध को सुलझाने में सऊदी अरब की क्यों दिलचस्पी हो सकती है?
सऊदी अरब में भारत के राजदूत रह चुके तलमीज़ अहमद मानते हैं कि 'सऊदी अरब अपने ईरान विरोधी गठजोड़ में पाकिस्तान को अपने साथ रखना चाहता है। साथ ही साथ वो भारत को ईरान से दूर ले जाने की रणनीति पर भी काम कर रहा है।
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