सऊदी अरब के कूटनीतिक प्रयास
रियाद/ नई दिल्ली। सऊदी अरब के उप-रक्षा मंत्री अदेल अल-ज़ुबैर शहज़ादा सलमान का संदेश लेकर इस्लामाबाद गए। उसी समय भारत में सऊदी अरब के राजदूत डॉक्टर सऊद मोहम्मद अल-सती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की।
पुलवामा हमले से पहले ही मोदी सरकार ने सऊदी सरकार को बहुत तवज्जो देना शुरू कर दिया था। इस दौरान शहज़ादा सलमान और प्रधानमंत्री मोदी का निजी 'इक्वेशन' भी काफ़ी मज़बूत हो गया था।
सऊदी अरब ने पाकिस्तान के चरमपंथ पर रवैये के खिलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाना शुरू कर दिया था। जब पुलवामा हुआ था तो सऊदी सरकार ने पाकिस्तान का साथ देने के बजाए आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक कड़ा वक्तव्य जारी किया था।
सामरिक मामलों के जानकार हर्ष पंत बताते हैं, ''सऊदी अरब नहीं चाहता था कि ये मामला इतना तूल पकड़े कि उसे सार्वजनिक रूप से भारत या पाकिस्तान में से किसी एक पक्ष का समर्थन करना पड़े। चूँकि सामरिक मामलों पर बहुत पहले से पाकिस्तान और सऊदी अरब की आपसी समझ एक दूसरे के बहुत क़रीब है, सऊदी अरब ने 'बैक चैनल' से ये कोशिश की कि पाकिस्तान इसे और आगे न ले जाए।
उसने भारत से भी बात की और जब उसे भारत से संकेत मिल गया कि कोई बीच का रास्ता निकल जाने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है तो उसने पाकिस्तान से संपर्क किया। उसने पाकिस्तान को साफ़ कर दिया कि अगर उसने तनाव को कम करने की कोशिश नहीं की तो वो पाकिस्तान के साथ खड़े होने की हालत में नहीं होगा।
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