इस आक्रामकता के ख़तरे
पेरिस/ बीजिंग। पैरिस में चीन के राजदूत लु शाये को फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने तलब किया। दरअसल पैरिस में चीनी दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर टिप्पणी प्रकाशित की थी कि फ़्रांस ने अपने बुज़ुर्गों को कोविड-19 से मरने के लिए केयर होम्स में छोड़ दिया है। लु को इस कमेंट पर अपना पक्ष रखने के लिए तलब किया गया था।
चीनी राजनयिकों को सबसे कड़ी प्रतिक्रिया अफ्ऱीका में देखने को मिली है, जहां नाइजीरिया, कीनिया, यूगांडा, घाना और अफ्ऱीकी यूनियन में तैनात चीनी राजदूतों को उनके संबंधित मेहमान देशों ने तलब करके हाल के सप्ताह में चीन के अंदर अफ्ऱीकी लोगों के साथ नस्लीय आधार पर भेदभाव का मसला उठाया है।
नाइजीरिया के हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर फ़ेमी गाबाजाबियमिला ने चीनी राजदूत के साथ जताई गई अपनी आपत्ति वाला वीडियो प्रकाशित किया है। फ़ॉरेन अफे़यर्स पत्रिका में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रड ने एक लेख लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि चीन को अपनी नई रणनीति की क़ीमत चुकानी होगी। उन्होंने लिखा है, "चीन के 'वुल्फ़ वॉरियर्स' राजनियक चीन में चाहे जो भी रिपोर्ट करते हों लेकिन वास्तविकता में चीन की छवि को काफी नुक़सान पहुंच रहा है (दुर्भाग्य यह है कि 'वुल्फ़ वॉरियर्स' उसे ठीक करने की जगह और नुक़सान पहुंचा रहे हैं)।
केविन रड ने यह भी लिखा कि, "कोरोना वायरस के प्रसार को लेकर दुनिया भर में चीन विरोधी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. चीन पर नस्लीय भेदभाव वाले आरोप भारत, इंडोनेशिया और ईरान जैसे देशों में भी लगे हैं। चीन सॉफ़्ट पावर की छवि तार-तार होने का ख़तरा उत्पन्न हो गया है।
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