नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिन से जबरदस्त गर्मी है और कहीं-कहीं तो तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर तक जा रहा है। आईएमडी ने रविवार को उत्तर भारत के लिहाज से 25-26 मई के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जहां लू का प्रकोप अपने चरम पर हो सकता है। हालांकि ये तापमान फलोदी के आगे कुछ भी नहीं, जहां गर्मी में पारा 51 तक चला जाता है। साल 2016 की मई में लगातार 5 दिनों तक ये तापमान बना रहा। जानिए, देश के सबसे शुष्क प्रदेश के बारे में।
जोधपुर जिले का छोटा सा शहर एकाएक साल 2016 में सुर्खियों में आया, जब यहां का टेंपरेचर 51 डिग्री सेल्सियस तक मापा गया. इसके इतने गर्म होने के पीछे वजह ये है कि ये शहर थार रेगिस्तान से सटा हुआ है. ये वही थार मरुस्थल है, जिसका लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भारत में और बाकी हिस्सा पाकिस्तान में लगता है. गर्मियों में बेहद गर्म और सर्दियों में काफी ठंडा रहने वाला फलोदी शहर अपने आसपास बड़े शहरों से घिरा हुआ है जैसे बीकानेर, जैसलमेर और नागौर। माना जाता है कि ये शहर काफी प्राचीन है. साल 1230 में यहां का प्रसिद्ध कल्याण रावजी मंदिर बना था. वैसे शहर का निर्माण 14वीं सदी के अंत से माना जाता है, जब राजा हमीर सिंह ने यहां काफी सारे विकास कार्य करवाए, जैसे इमारतें, दुकानें और बावड़ियां बनवाना. यहां पर साल 1847 में बना जैन तीर्थ पारसनाथ मंदिर है, जहां उस दौर में भी बेल्जियम ग्लास का इस्तेमाल हुआ था। साल 2011 के सेंसस के मुताबिक यहां की आबादी लगभग 49,766 है, जो यहां की इंडस्ट्रीज में काम करती है. बता दें कि पुराने दौर में काफी समृद्धि देख चुका ये शहर अब भी अपनी औद्योगिक समृद्धि के लिए जाना जाता है. फलोदी पूरे देश में नमक का सबसे बड़ा सप्लायर है. साथ ही यहां प्लास्टर ऑफ पेरिस का खूब काम होता है. हालांकि इन सबसे ऊपर एक और बात है, जो इस गर्म इलाके को नाम देती है. दरअसल यहां के खिंचान गांव में हर साल प्रवासी सारस पक्षी आते हैं. साल 1970 में सारस का यहां आना शुरू हुआ. माना जाता है कि तब एक स्थानीय परिवार सारसों के झुंड को खाना खिलाया करता था. इसके बाद से हर साल सारस आने लगे. स्थानीय लोग भी बर्ड फीडिंग से जुड़ते चले गए और हर साल के साथ प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ती चली गई।
अब हर साल यहां अगस्त से लेकर अगले मार्च तक लगभग 20,000 सारस पक्षी आते हैं। माना जाता है कि Demoiselle crane के नाम से जाने जाने वाले ये पक्षी साइबेरिया, चीन के एक हिस्से और मंगोलिया से भी आते हैं। स्थानीय बोली में इन्हें कुरजां कहा जाता है. पक्षियों को खाना खिलाने के लिए यहां के लोगों ने एक चुग्गा घर बना रखा है, जहां रोज डेढ़ घंटे के आसपास सारस खाना खाते हैं। इन्हें ही देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां तक कि विदेशी सैलानी भी इसे देखने के लिए आते हैं।
वैसे राजस्थान का चुरू भी कुछ कम गर्म नहीं. इसे साल 2019 में दुनिया के 15 सबसे गर्म क्षेत्रों की सूची में जगह मिली. तब यहां का टेंपरेचर 50.3 डिग्री सेल्सियस था। दिन के 9 बजे भी यहां तापमान 45 से ऊपर चला जाता है। वैसे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का भी इस लिस्ट में नाम है। यहां का जकोबाबाद शहर दुनिया के गर्म इलाकों में सबसे ऊपर है।
हालांकि सबसे गर्म क्षेत्रों की बात करें तो दुनियाभर के मरुस्थलों के तापमान सुनकर किसी के भी पसीने छूट जाएं। जैसे कैलीफोर्निया की डेथ वैली का तापमान 56.7 भी पहुंच चुका है. ये साल 1913 की बात है। इतने तापमान में इंसानों या जीव-जंतुओं का रहना भी असंभव है। इसके बाद लीबिया के अजिजियाह का नंबर आता है। यहां पर साल 1922 में तापमान 58 डिग्री तक पहुंच चुका था। लेकिन आम दिनों में यहां का तापमान डेथ वैली से कुछ कम ही रहता है।
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