नई दिल्ली। हर राज्य सत्ताधारी दल की राजनीतिक सोच के अनुसार नीतियों के आधार पर बंटे होते हैं। संकट यह है कि कोरोना महामारी भी इसे पाटने में बहुत सफल नहीं है। प्रवासी श्रमिकों को किसी भी तरह मूल राज्य में भेजने की तत्परता पहले दिखी, फिर उनसे रेल किराया भाड़ा वसूलने को लेकर विवाद उठा। समन्वय की यह कमी राज्यों की सीमाओं में प्रवेश को लेकर भी है। खासकर दिल्ली-एनसीआर में जिस तरह अलग- अलग राज्यों का रुख दिख रहा है वह लॉकडाउन में राहत की पूरी मंशा पर ही पानी फेरता दिख रहा है। यह इसलिए गंभीर है क्योंकि दिल्ली-एनसीआर जिसमें दिल्ली समेत नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद शामिल है, एक बहुत बड़े आर्थिक गतिविधि का केंद्र है। जहां सालाना लाखों करोड़ का न सिर्फ उत्पादन होता है बल्कि लाखों लोगों को रोजगार मुहैया कराता है।
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