नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर देशभर में जारी लॉकडाउन में किरायेदारों का किराया माफ या भुगतान करने से छूट नहीं दी जा सकती है। हालांकि, न्यायालय ने कहा है कि लॉकडाउन के मद्देनजर किरायेदार को राहत के तौर पर इसे कुछ दिन के लिए टाला या किस्तों में भुगतान की इजाजत दी जा सकती है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह ने कहा है कि किरायेदार लॉकडाउन संकट जैसी ‘जबरदस्ती की स्थिति’ को लागू नहीं कर सकते क्योंकि वह दुकान खाली नहीं करना चाहते थे और परिसर पर अब भी कब्जा बनाए हुए हैं। उच्च न्यायालय ने खान मार्केट के कुछ दुकानदारों की याचिका पर यह फैसला दिया है।
किराये से छूट मांगी थी : दुकानदारों ने याचिका में कहा था कि लॉकडाउन के दौरान वे दुकान का इस्तेमाल करने में असमर्थ थे, ऐसे में उन्हें किराये का भुगतान करने से छूट दी जाए। न्यायालय ने उनकी मांग को खारिज करते हुए कहा है कि बेदखली के आदेश होने के बाद भी वह (दुकानदार) दुकान खाली नहीं करना चाहते थे। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा है कि अब सवाल उठता है कि क्या लॉकडाउन के चलते किरायेदार किराये के भुगतान से छूट या इसे स्थगित करने की मांग करने का हकदार होगा।
न्यायालय ने कहा कि इससे देशभर में हजारों मामले सामने आएंगे। उच्च न्यायालय ने कहा है कि हालांकि, इस तरह के मामलों से निपटने के लिए कोई मापदंड निर्धारित नहीं किया जा सकता है, लेकिन फिर भी कुछ व्यापक मापदंडों को ध्यान में रखा जा सकता है ताकि इस तरह के मामलों उत्पन्न होने वाले विवादों का समाधान हो सके।
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