नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा लगभग एक हजार तक पहुंच चुका है, लेकिन सरकार ने बुधवार तक केवल 303 मौत होने की बात स्वीकारी है। यानी सरकार के दावों से तीन गुने से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना के कारण हो चुकी है।
सरकार की तरफ से पेश कुल कोरोना मौतों की संख्या से ज्यादा 414 लोगों का शवदाह अकेले निगमबोध घाट पर किया जा चुका है। इसी प्रकार दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में भी 481 लोगों का शवदाह हो चुका है।
इसके अलावा पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले दो कब्रिस्तान में भी 25 शवों को दफनाया जा चुका है।
भाजपा ने दिल्ली सरकार पर कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाने का आरोप लगाया है। वहीं दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि कोरोना से होने वाली मौतों को छिपाया नहीं जा रहा है।
सरकार ने कहा है कि अस्पतालों से जैसे-जैसे मौत के आंकड़ों की जानकारी मिलती जा रही है, उन्हें दर्ज किया जा रहा है।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार निगम बोध घाट पर बुधवार शाम तक 414 कोरोना शवों की अंतिम क्रिया कराई जा चुकी है। इनमें 337 मामले कोरोना पॉजिटिव थे, जबकि 77 लोगों को कोरोना संदिग्ध माना गया था।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन भूपेंद्र गुप्ता ने अमर उजाला डॉट कॉम को बताया कि उनके क्षेत्र में अभी तक 481 शवों का शवदाह/दफनाना कोरोना कैटेगरी में किया गया है। कुल मामलों में 390 लोगों में कोरोना होने की पुष्टि हो चुकी थी, जबकि 91 लोगों में कोरोना होने का संदेह था। पूर्वी दिल्ली नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन संदीप कपूर ने बताया कि उनके क्षेत्र में कोरोना शवदाह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कड़कड़डूमा शवदाह केंद्र को बिल्कुल शुरुआती दौर में कोरोना शवों के निस्तारण के लिए चिन्हित किया गया था, लेकिन बाद में यह फैसला टाल दिया गया।
इस समय कोरोना शवदाह के लिए सभी शवों को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अंतर्गत आने वाले निगमबोध घाट पर भेज दिया जाता है।
वहीं कोरोना शवों को दफनाने की व्यवस्था दो कब्रिस्तानों में की गई है। बुलंद मस्जिद शास्त्री पार्क कब्रिस्तान में 26 मई तक कुल 22 शवों को दफनाया जा चुका है। इनमें 11 कोरोना पॉजिटिव और 11 कोरोना संदिग्ध मामले शामिल थे।
जबकि दूसरे कोरोना कब्रिस्तान मुल्ला कॉलोनी में अब तक तीन कोरोना पॉजिटिव शवों को दफनाया जा चुका है।
क्यों देनी पड़ी लकड़ी से शवदाह की अनुमति
निगमबोध घाट के सूत्रों के मुताबिक सीएनजी से शवदाह किए जाने पर एक शव की अंतिम क्रिया संपन्न होने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है। अगर मृतक का शरीर ज्यादा भारी होता है तो इसमें दो घंटे तक का भी समय लग जाता है।
लेकिन यहां आने वाले शवों की संख्या बहुत ज्यादा होती जा रही थी, जिसकी वजह से लोगों को अपने प्रियजनों के दाहसंस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा था। यही कारण है कि अपरिहार्य कारणों को देखते हुए पारंपरिक विधि से शवों को जलाने की अनुमति देनी पड़ी।
इसके पहले सरकार के स्तर पर निर्देश प्राप्त कर लिया गया था।
मौतों पर आरोप-प्रत्यारोप
दिल्ली भाजपा के महामंत्री राजेश भाटिया ने बताया कि नगर निगम के आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि अरविंद केजरीवाल सरकार मौत के आंकड़े छिपा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को सच्चाई जनता के सामने रखनी चाहिए।
वहीं, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को मीडिया में बयान देते हुए कहा कि राजधानी की व्यवस्था बिल्कुल पारदर्शी है। यहां होने वाले किसी भी जन्म या मौत के आंकड़े को छुपाया नहीं जा सकता।
सरकार किसी भी आंकड़े को छुपाने की कोशिश नहीं कर रही है। अस्पतालों से जिस प्रकार से जानकारी आ रही है, उसी प्रकार से इसे अपडेट किया जा रहा है।
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