विधायक पर लगाए आरोप, कसी लगाम
अकाशुं उपाध्याय
गाजियाबाद। लोनी तहसील में जनता के निवाले पर दिन-दहाड़े, लूट-खसोट की गई है। जिसका प्रमाण क्षेत्र के राशन कार्ड धारक स्वयं हैं। हजारों कुंतल अनाज लूट लिया गया। जिसमें अधिकारी और नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। संपूर्ण भारत में लॉक डाउन लागू है। जिसे 3 मई तक लागू किया गया है। इस लॉक डाउन में इतनी बड़ी लूट ? यह बात जनता को भी समझने की सख्त जरूरत है। लॉक डाउन में नेताओं की काली कमाई के सारे रास्ते बंद हो जाने पर, जनता के निवाले पर सुनियोजित ढंग से सेंधमारी की गई है। स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर की इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जिसमें उप जिलाअधिकारी को इस सुनियोजित संरचना का संवाहक बनाया गया। आप स्वयं महसूस कर सकते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त अधिकारी जाहिलो की भांति बिना नाद-जनेऊ के संकेत मिलने भर पर, कार्य को पूर्ण करते नजर आते हैं। सही और गलत के अन्वेषण की किसी ने कोई आवश्यकता ही नहीं समझी है। इस संपूर्ण प्रकरण पर पूर्व चेयरमैन मनोज धामा के द्वारा उंगली उठाते ही प्रकरण से संबंधित सब लोग अपने बचाव का मार्ग खोजने में लगे हैै। वर्तमान चेयरमैन के द्वारा सुभे के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर स्थानीय विधायक नंदकिशोर गुर्जर की जड़ों से मिट्टी हटाने का काम किया है। यदि इस पत्र पर कोई संतोषजनक कार्रवाई भी नहीं होती है, तो भी विधायक की छाती पर कई मन बोझ तो रहेगा ही। हमेशा यह पश्चताप रह-रहकर, आत्मग्लानि का बोध कराता रहेगा।
इस रोमांचक राजनीति के खेल में पूर्व चेयरमैन मनोज धामा ने पलटवार में यह बाजी 'चौकस' मारी है। प्रतिद्वंदी को चारों खाने चित कर दिया है। सारा खेल पट्ट कर दिया है।
नाजुक नौकरशाही हर हाल में 'ढाई चाल' ही चलती है। उसका कार्य नेतृत्व के पीछे झाड़ू लेकर चलना है। जो बचता है उसे समेट लिया जाता है। बाकी कोई नातेदारी तो है नहीं। ना कोई ऐसा संकल्प लिया है और ना कोई प्रण किया है।
क्षेत्र के राजनीतिक विक्षोभ से स्थानीय विधायक पर ठोस आरोप लगे हैं और लगाम की पकड़ भी मजबूत लग रही है। बहराहाल, जो भी परिणाम हो, यह राजनीतिक खेल परवान चढ रहा है और काफी रोमांचकारी भी हो गया है।
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