जकार्ता। इंडोनेशिया में कोरोना का कहर जारी है। एशियाई मुलकों में चीन के बाद इंडोनेशिया ऐसा दूसरा देश है। यहाँ अब तक 280 कोरोनोंटेन्स की जानें जा चुकी हैं, जबकि 3293 वायरस से सतर्क हैं। इंडोनिशियन सरकार सबसे बड़ी चिंता यह है कि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीसीबीई) की कमी के कारण 26 डॉक्टरों की और नौ नर्सों की जान जा चुकी है।
इस क्रम में बता दें कि यूरोप के इटली में कोरोनाटेन्स की संख्या 140,000 के करीब है, 96 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। लेकिन इंडोनेशिया में डॉक्टरों की मौत के आंकड़ों को देखते हुए कहा जा सकता है कि 26 करोड़ की आबादी वाला यह मुलक इस महामारी से निपटने के लिए कतई तैयार नहीं था। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीसीई) की भारी कमी: इंडोनेशियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रेजो सिदिप्रतोमो ने कहा कि शुरुआत में इंडोनेशिया इस बीमारी से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार नहीं था। हमारे पास व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीसीबीई) भी नहीं थे। यही कारण है कि इतने सारे डॉक्टरों की मृत्यु हो गई है। हालांकि, इंडोनेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय और कोरोनावायरस टास्कफोर्स ने डॉक्टरों की मौतों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विडोडो ने देश में सख्त लॉकडाउन का विरोध किया: उधर, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मरने वाले डॉक्टरों के लिए शोक व्यक्त किया और उनकेप्रिंटन की प्रशंसा की। उन्होंने चिकित्सा पेशेवरों के लिए वित्तीय सहायता और बीमारी से मारे गए श्रमिकों के परिवारों के लिए भुगतान की घोषणा की। विडोडो ने एक बार फीर देश में सख्त लॉकडाउन का विरोध किया है। उन्हें कोरोना से सामना करने के लिए लॉकडाउन के बजाए इंडोनेशियाई को सामाजिक दूरी करने के उपायों को अपनाने और घर पर रहने की अनुमति दी गई है।
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