राकेश पांडेय
लखनऊ। लॉकडाउन की घोषणा के चलते देश प्रदेश का शासन प्रशासन ने प्रत्येक दुकानों,मालों व ऐसे सार्वजनिक स्थानों को बंद करा रखा है जहां अधिक से अधिक लोगों की भीड़ होने की संभावना है।
इसी लॉकडाउन के चलते प्रशासन ने देसी विदेशी शराब व बिखर की दुकानों को भी बंद करा रखा है, लेकिन शराब के शौकीन की तलब प्रतिदिन दुगना दामों पर बुझाने वाले तमाम विक्रेता गलीयों मलिन बस्तियो में शराब बेचवा रहे हैं, और मय के प्यासे दीवाने उनको दुगना दाम पर खुशी से खरीद रहे है । इस काले कारोबार का पता लगाने की कोशिश किया तो अलग अलग जनपदों मे शराब बीयर के दुकान पर काम करने वाले सेल्स मैनो ने बताया कि 24 मार्च की रात्रि में लाँकडाउन की घोषणा के बाद जिन दुकानों में कई लाख की शराब भरी हुई थी। वह लाँकडाउन के दौरान प्रशासन की नजरों से छुपा कर दुकानों से निकालकर चोरी-छिपे ब्लैक में बेच दी गयी।
सूबे की योगी सरकार 24 मार्च या उससे पहले के दुकानों और गोदामों के उस समय उपलब्ध स्टाक और वर्तमान समय में दुकान व गोदामों में उपलब्ध स्टॉक से मिलान करें तो वाराणसी, आजमगढ़, बिन्ध्य, प्रयागराज,गोरखपुर मण्डलो के डेढ़ दर्जन जिलो की 70% शराब की दुकान का स्टाक या तो नील है या 10 से 20℅ स्टाक ही शेष है। यही हाहाल कमोवेश सूबे के हर जिले शहर बाजार और गांवों मे चल रही शराब की दुकानो का होना चाहिए ? सरकार, पुलिस ,सेना, समाज सेवी कोरोना के इस संक्रमण काल मे इतने ब्यस्त है कि इसका फायदा उठा शराब माफियाओं ने लाखो नही करोड़ों बल्कि अरबो का खेल खेल लिया है। आश्चर्य की बात तो यह है लाँकडाउन के दौरान बंद दारू की दुकानों व गोदामों से करोड़ों की दारू बिक गई और शासन प्रशासन को कुछ पता नहीं।आखिर इसका जिम्मेदार कौन है। सरकार सूबे के शराब दुकानो की जांच कर दुकानों को सील करके 24 मार्च की तारीख तक के स्टाक को सील ओपन करने की डेट में दुकानों में उपलब्ध स्टाक का मिलान कराया जाए तो 70% शराब बेच दी गयी यह पूरी तरह साफ हो जायेगा।
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