नई दिल्ली। सरकारी तेल कंपनियां केंद्र सरकार के निर्देश पर देश भर में उज्ज्वला योजना को आगे बढ़ाने में जोर-शोर से लग गई हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से जिस तरह से पेट्रोल व डीजल की मांग घट रही है उससे चिंता बढ़ती जा रही है। लॉकडाउन के चलते वाहनों के रोड से हटने और औद्योगिक गतिविधियों के ठप होने से हर तरह की ऊर्जा की मांग कम हो गई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च, 2020 में पेट्रोल की मांग में 16.3 फीसद और डीजल में 24 फीसद की गिरावट हुई है। जबकि अप्रैल के महीने में अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि उक्त दोनों उत्पादों की मांग में गिरावट 70 फीसद तक की है। इसी तरह से बिजली की मांग भी 30-35 फीसद तक घट गई है। तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि पिछले कई दशकों के बाद ऐसा माहौल बना है कि पेट्रोल व डीजल की मांग में अचानक दो-तिहाई की गिरावट हो गई है। ऐसे में क्रूड आवक से लेकर तैयार उत्पादों के स्टॉक प्रबंधन तक नए सिरे से तैयारी करनी पड़ रही है। एक समस्या क्रूड यानी कच्चा तेल प्रबंधन को लेकर आ रही है। बिक्री नहीं होने की वजह से रिफाइनरियों में तैयार उत्पाद का स्टॉक बहुत ही ज्यादा है, ऐसे में नए क्रूड का स्टॉक लेने की उनकी क्षमता कम हो गई है।
हालांकि तेल कंपनियों के पास पहले से जो क्रूड है उसे देश के रणनीतिक भंडार में ट्रांसफर करने की तैयारी हो रही है। लेकिन यह काम भी काफी कठिन है क्योंकि इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम व भारत पेट्रोलियम की रिफाइनरियां देशभर में हैं। जबकि तीनों रणनीतिक भंडार मेंगलुरु, विशाखापत्तनम व पुडूर में हैं। रिफाइनरियों से क्रूड को इन भंडारों तक पहुंचाने में समय लगेगा। लेकिन इससे तेल कंपनियों के पास कुछ जगह खाली हो सकती है जिसे वे सस्ते क्रूड खरीदकर भर सकती हैं। पेट्रोल व डीजल की मांग में कमी होने की भरपाई तेल कंपनियां एलपीजी की मांग से कर रही हैं। कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने एलान किया था कि उज्ज्वला योजना के सभी लाभार्थियों को तीन एलपीजी सिलेंडर दिए जाएंगे। ऑयल कंपनियां इस काम में जुट गई हैं। अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में 1.26 करोड़ एलपीजी सिलेंडर की बुकिंग हुई है जिसमें से 85 लाख सिलेंडर की आपूर्ति की जा चुकी है।
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