FDI नियमों में बदलाव से भड़क गया है चीन
चीनी मीडिया दे रही फार्मा निर्यात रोकने की धमकी
दवाओं के लिए बेस माल जैसा होता है एपीआई भारत में करीब 85 फीसदी API चीन से आता है
बीजिंग। कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच चीन की कई देशों से तल्खी बढ़ रही है। अब इस सूची में भारत भी शामिल हो गया है। भारत द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों में बदलाव से भड़के चीन की सरकारी मीडिया में यह माहौल बनाया जाने लगा है कि चीन हमारे देश में अपने फार्मा निर्यात को रोक सकता है। चीन से हमारे देश में फार्मा की बात करें तो सबसे ज्यादा दवाएं बनाने के लिए जरूरी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (API) आता है। क्या हम अपने देश में एपीआई बनाकर चीन की अकड़ खत्म नहीं कर सकते? क्या हैं आखिर समस्याएं, आइए जानते हैं...
क्या होता है एपीआईः सबसे पहले यह जान लें कि एपीआई क्या होता है। इसका मतलब होता है एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तैयार फार्मा उत्पाद यानी फॉर्मुलेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले किसी भी पदार्थ को एपीआई कहते हैं। गौरतलब है कि एपीआई ही किसी दवा के बनाने का आधार होता है, जैसे क्रोसीन दवा के लिए एपीआई पैरासीटामॉल होता है। तो आपने यदि पैरासीटामॉल का एपीआई मंगा लिया, तो उसके आधार पर किसी भी नाम से तैयार दवाएं बनाकर उसे निर्यात कर सकते हैं। तैयार दवाएं बनाने की फैक्ट्री में ज्यादा निवेश करने की जरूरत नहीं होती है और इसे लगाना आसान होता है।
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