टूर्नामेंट रद कैडियों के सामने आजीविका का संकट
मनोज कुमार
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के चलते पेशेवर गोल्फ टूर ऑफ इंडिया (पीजीटीआइ) टूर्नामेंट रद होने और गोल्फ कोर्स बंद होने से दिहाड़ी पर काम कर रहे सैकड़ों कैडियों (गोल्फर के सहायक) के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। देश में भारतीय गोल्फ यूनियन से रजिस्टर्ड 231 गोल्फ कोर्स हैं। इसमें 18,000 से 20,000 के करीब कैडी अपनी सेवा देते हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में ही करीब डेढ़ दर्जन गोल्फ कोर्स में 700-800 कैडी काम करते हैं। दिल्ली-एनसीआर में करीब 2500 कैडी काम करते हैं जिनमें अधिकांश प्रवासी है। कई नियमित कैडी है तो कई पार्ट टाइम काम करते हैं।
दो बार एशियाई टूर के विजेता गोल्फर राशीद खान का मानना है कि अगर हालात में सुधार नहीं आया तो सबसे ज्यादा गाज कैडियों पर गिरेगी। कैडी रोज कमाते हैं ओर अब उनकी कमाई बंद हो गई है। उन्हें परिवार पालने हैं, किराया देना है। हालात नहीं सुधरने पर उनके लिए काफी कठिन हो जाएगा। चंडीगढ़ के अक्षय शर्मा और 2015 जूनियर विश्व गोल्फ चैंपियन शुभम जगलान के कैडी रहे मंटू ने कहा कि हालात सामान्य नहीं होने पर 95 प्रतिशत कैडियों पर असर पड़ेगा। हमारे देश में पांच प्रतिशत कैडी ही 20-25 हजार रुपये महीने कमा पाते हैं। बाकी सभी की हालत खराब है। करीब 50-60 कैडी ही शीर्ष गोल्फरों के साथ नियमित यात्रा करते हैं और कुछ को उनसे वेतन भी मिलता है लेकिन बाकी दिहाड़ी पर काम करते हैं।
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