सरकारी सेवकों (कोरोना युग के कर्मयोद्धाओं) की निकली आह !
हमें तो लूट लिया कोबिड-2019 ने
सांसदों, विधायकों एवं मंत्रियों को अकूत सुविधाओं में कटौती, चुनाव सभाओं पर रोक लगे
मिर्जापुर । शोले फ़िल्म का एक डायलाग आज भी लोग दुहराते है । गब्बर सिंह डाकू बोलता- तुम थे तीन और वे थे दो !... हा, हा, हा... तीनों बच गए ? आदि आदि ! उसी डाकू सा खौफ इन दिनों कोरोना वायरस को लेकर है । एक समय आएगा, जब क्रोध में सक्षम व्यक्ति अपने से कमजोर को श्रापेगा- जाओ ! तुम्हें कोरोना हो जाए । मां बच्चे को डराएगी- बेटा सो जाओ, नहीं तो कोरोना आ जाएगा । आदि आदि । कोरोना की गाज गिर ही गई -केंद्रीय सरकार की सेवाओं में कोरोना टैक्स के रूप में समूह क से घ तक के *DA* जुलाई 21 तक रोक देने से 3 DAवृद्धि ( डियरनेस एलाउंस) नहीं मिलेगी जिससे इस अवधि में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को प्रत्यक्षतः 71780/-से लेकर प्रथम श्रेणी के अधिकारी वर्ग का तीन लाख 41 हजार के लगभग अब सरकार नहीं देगी । यानी इस देनदारी से सरकार मुक्त हो गई । सरकार काम पूर्ववत लेगी लेकिन उक्त धनराशि उसके खाते में बच जाएगी ।
अर्धवार्षिक वेतन वृद्धि से लेकर जीवन पर्यंत मिलने वाले पेंशन पर असर - सरकार के इस निर्णय से 6-6 माह पर महंगाई सूचकांक के आधार पर वर्तमान में मिलने वाली प्रतिमाह की वृद्धि अब नहीं मिलेगी । इसका असर सेवा निवृत्ति के बाद पेंशन पर पड़ेगा क्योंकि वृद्धि होते होते बढ़े हुए मूल वेतन का 50% पेंशन मिलता है ।
यह वृद्धि कैसे होती है- मान लिया जाए कि 100 रुपए वेतन है । इस पर 17% DA के बाद हर साल जनवरी में कर्मचारी के वेतन में 4% वृद्धि होती है तो इस वृद्धि को जोड़कर उसी जुलाई और फिर अगले वर्ष जनवरी में 4% वृद्धि होती । यानी एक साल में 12% वृद्धि वेतन में हो जाती । लेकिन अब सरकारी सेवकों को जुलाई '21 में भी 117/- ही मिलेंगे । यदि पुराना नियम रहा तो जुलाई '21 में 117/- मूल वेतन माना जाएगा । इससे पूरी सेवावधि पर वेतन में कमी आएगी, साथ में पेंशन निर्धारण में भी फर्क आएगा ।
कर्मचारी कसमसा रहे हैं- केंद्रीय सेवाओं में यह नियम लागू होने के कारण केंद्र के साथ प्रदेश सरकार के कर्मचारी कसमसा गए हैं। इनका तर्क है कि यह नियम प्रदेश में लागू जरूर होगा । कई प्रदेशों ने लागू कर दिया है । कर्मचारी संगठन लॉकडाउन से अभी बोल्ड नहीं हो रहे हैं । लेकिन संकेत आने लगे कि कर्मचारी संगठन इसको लेकर महाभारत कर सकते हैं ।
जो सेवा में नहीं हैं- जो सरकारी सेवा में नहीं है, वे या तो इस मुद्दे पर अनजान होने के नाते निष्क्रिय हैं जबकि वे जो सरकारी सेवकों से खुन्नस खाए रहते हैं कि सरकारी सेवा में बहुत ऊपरी कमाई है, वे इस कटौती से प्रसन्न हैं । लेकिन इस कटौती से जब कर्मचारियों की क्रय-शक्ति घटेगी और पूंजी का प्रवाह टेहरी में डैम बनने से गंगा के सिकुड़ने की तरह होगा तब मार्केट में उसका बुरा प्रभाव पड़कर रहेगा ।सरकारी सेवकों का सुझाव- सरकार खर्चों में कटौती करे । वर्ष भर में समीक्षा के लिए राजधानियों में होने वाली बैठकों की जगह वीडियो कांफ्रेंसिंग सिस्टम का प्रयोग हो । पत्राचार के लिए दूत (मैसेंजर) की जगह ऑनलाइन पत्राचार हो जिससे टीए, डीए में बचत होगी । मंत्रियों, अधिकारियों की विदेश यात्राओं पर रोक लगे । फिजूल के प्रचार पर रोक लगे । सरकारी क्षेत्र में हर स्तर (मंत्री से लेकर निचले स्तर तक) दौरों तथा स्वागत समारोहों, शिलान्यास तथा लोकार्पण समारोह ऑनलाइन हो । अगले 5 सालों में होने वाले चुनाव सभाएं रोकी जाएं । नेताओं का उद्बोधन आनलाइन ही हो ।होटलों की जगह लाज में ठहरें- सरकारी दौरों के वक्त 3/5 स्टार होटलों में रक कर भारी धनराशि के व्यय को रोका जाए । हवाईवयात्राओं पर सरकार कटौती करे । कम्प्यूटर युग के पूर्व से चली आ रही विदेशी दूतावासों पर होने वाले व्यय कम किए जाएं । अनावश्यक जांच आयोगों तथा निरर्थक आयोगों का गठन रोका जाए ।
सलिल पांडेय
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