अश्वनी उपाध्याय
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर से स्पेशल स्टेटस वापस लिए जाने के आठ महीने बाद केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में डोमिसाइल को लागू कर दिया है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में 15 सालों से रह रहे नागरिक इस डोमिसाइल के हकदार होंगे। इसके तहत जिन बच्चों ने सात वर्ष तक केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई की है और दसवीं या बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी है, वे भी जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल होंगे। उन्हें सरकारी नौकरियां भी मिल पाएंगी। डोमिसाइल कानून में नए संशोधन को उन चिंताओं को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो जम्मू और कश्मीर के लिए केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति में जनसांख्यिकीय बदलाव लाएंगे क्योंकि देश के किसी भी हिस्से के लोग वहां नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं और जम्मू-कश्मीर में बस सकते हैं। संसद द्वारा धारा 370 को खत्म किए जाने से पहले केवल पूर्ववर्ती राज्य के स्थायी निवासी माने जाने वाले लोग ही राज्य सरकार में नौकरी पा सकते थे। जब कश्मीरी राजनेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले महीने गृह मंत्री अमित शाह से मिला था, तो उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया था कि केंद्र ने संघ राज्य क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन करने का इरादा नहीं किया है। शाह ने यह भी विश्वास दिलाया था कि जम्मू-कश्मीर के लिए नया कानून किसी भी अन्य राज्य की तुलना में बेहतर होगा। डोमिसाइल कानून 25,500 रुपये के मूल वेतन के साथ आने वाले सभी पदों पर भर्ती के लिए लागू होगा। गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहा हो या जिसने सात साल की अवधि तक अध्ययन किया हो और वहां कक्षा 10 वीं / 12 वीं की परीक्षा में उपस्थित हुआ हो, उसे वहीं का अधिवास माना जाएगा। सरकार के आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार के अधिकारियों, अखिल भारतीय सेवाओं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अधिकारी और केंद्र सरकार के स्वायत्त निकाय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, वैधानिक निकाय के अधिकारी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अधिकारी और केंद्र सरकार के मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान, जिन्होंने सेवा 10 वर्षों की कुल अवधि के लिए जम्मू और कश्मीर में सेवा की है उनके बच्चों को भी केंद्र शासित प्रदेश में अधिवासित माना जाएगा।
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