सोमवार, 27 अप्रैल 2020

गरीबी के दलदल का दायरा

लाखों भारतीय गरीबी के दलदल में फंस सकते हैं
नई दिल्ली। आरबीआई के पूर्व गवर्नर दुव्वूरी सुब्बाराव ने रविवार को कहा कि लॉकडाउन यदि लंबे समय तक रहा, तो इससे लाखों भारतीय गरीबी के दलदल में फंस सकते हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि कोविड-19 संकट समाप्त होते ही अर्थव्यवस्था में वी शेप की रिकवरी आ सकती है और भारतीय अर्थव्यवस्था में अन्य देशों के मुकाबले अधिक तेजी के साथ रिकवरी होगी। सुब्बाराव ने यह बात एक वेबीनार में कही, जिसमें आरबीआई की पूर्व डिप्टी गवर्नर उषा थोराट ने भी हिस्सा लिया। वेबीनार का विषय था- इतिहास बार-बार दोहराता है, लेकिन अलग तरीके से- कोरोना के बाद की दुनिया के लिए सबक। वेबीनार का आयोजन मंथन फाउंडेशन ने किया था। 


भारत के बेहतर प्रदर्शन की संभावना से नहीं हों संतुष्ट
पूर्व आरबीआई गवर्नर ने कहा कि विश्लेषकों का मानना है कि इस साल भारत की जीडीपी घट जाएगी या इसकी विकास दर में गिरावट आएगी। लेकिन इस संकट से पहले ही हमारी विकास दर घट चुकी है। अब यह पूरी तरह से रुक गई है। पिछले साल विकास दर 5 फीसदी रही थी। इस साल यदि यह शून्य फीसदी रहती है, तो विकास दर में पूरे 5 फीसदी की गिरावट आएगी। यह सच है कि इस संकट के दौरान भारत का प्रदर्शन अधिकतर देशों से बेहतर होगा। लेकिन इससे हमें संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए। क्योंकि हम एक गरीब देश हैं और यदि लॉकडाउन जल्दी समाप्त नहीं किया गया, तो पूरी संभावना है कि लाखों लोग गरीबी के दलदल में फंस जाएंगे।


सुब्बाराव ने कहा कि विश्लेषकों के मुताबिक भारत में वी शेप में तेजी आएगी, जो कि अधिकतर देशों से बेहतर होगा। और हम वी शेप रिकवरी की उम्मीद क्यों करते हैं? क्योंकि चक्रवाती तूफान और भूकंप के विपरीत मौजूदा संकट में कोई संपत्ति बर्बाद नहीं हुई है। फैक्ट्र्रियां अपनी जगह खड़ी हैं। दुकान अपनी जगह बनी हुई हैं। लॉकडाउन समाप्त होते ही लोग काम करने के लिए तैयार हैं। इसलिए यह उम्मीद है कि रिकवरी वी शेप में आएगी। और जहां तक वी शेप रिकवरी की संभावना है, तो भारत की स्थिति अन्य देशों से बेहतर है।


उन्होंने कहा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद कई अन्य देशों के मुकाबले भारत में अधिक तेजी के साथ रिकवरी हुई थी। इस साल भारत की विकास दर 1.9 फीसदी रहने के अंतरराष्ट्र्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुमान के बारे में उन्होंने कहा कि यह अनुमान पुराना पड़ चुका है। कई विश्लेषक मानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार घटने वाला है। उषा थोराट ने का कि मौजूदा स्थिति में सिस्टम में नकदी बढ़ाने से बहुत फायदा मिलने की उम्मीद नहीं है। बैंक और गैर बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) ज्यादा कर्ज दे सकें, इसके लिए उन्हें क्रेडिट गारंटी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संकट के समय राज्यों को ज्यादा सहयोग चाहिए और सब्सिडी में सुधार किए जाने की जरूरत है।


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