कोशाम्बी। आयुर्वेद के जनक कहे जाने वाले वैद्यराज चरक सुश्रुत ने आयुर्वेद के गुणों के बारे में जो जानकारियां समाज को दिया था उसमें संजीवनी बूटी जैसी महान औषधियों का जिक्र किया था जो मरे ब्यक्ति को भी जिंदा कर देती थी। दूषित खून को शुद्ध करने संक्रमण को समूल नष्ट करने की शक्ति नीम गिलोय में मौजूद है। प्राचीन काल में भारत देश में आयुर्वेद के तमाम विख्यात वैद्य वैद्यराज के ज्ञान को अर्जित कर लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है प्राचीन काल में आयुर्वेद पद्धति से भारतीय स्वस्थ्य रह कर हजारो वर्ष जीते थे देश की आयुर्वेद पद्धति को बढ़ाने के बजाय सरकारी तंत्र इस भारतीय खजाने को भूलता जा रहा है, जो देश के लिए बड़ा चिंतन का विषय है।
आज भी देश की धरती पर तमाम ऐसी जड़ी बूटी है जो समाज में लोगों को स्वस्थ निरोगी रखने में कारगर हैं तुलसी, नीम, गिलोय, दूब, घास, पीपल, अपराजिता, बरगद, गाय का गोबर, काली मिर्च, हरड़ जीरा बहेरा आंवला चिरायता मकोय तेजपत्ता जायफल जावित्री अफीम कलौंजी मुलेठी अपराजिता भांग सतावर हल्दी चोपचीनी शहद वंश लोचन मन्दार केशर कस्तूरी अकरकरा मयूर का अंडा चिचड़ी अपामार्ग पिपरमिंट सनाय मेथी दाना हड़जोड़ सहित तमाम महत्वपूर्ण आयुर्वेद औषधियों से भारत देश की यह धरती भरी पड़ी है। प्राचीन काल में आयुर्वेद में भारत विश्व गुरु था लेकिन चार सौ वर्ष पूर्ब लगभग विदेशी पद्धति के चकाचौंध में हम अपनी चिकित्सा पद्धति को भूल चुके हैं। जिससे हमारी चिकित्सा पद्धति का ज्ञान लुप्त होता जा रहा है।लेकिन इन जड़ी-बूटियों का ज्ञान सीमित लोगो तक है और सीमित क्षेत्र के लोग ही इसका लाभ उठाते हैं और अन्य लोग जड़ी बूटियों के ज्ञान लाभ से उपेक्षित हैं। समाज के लोगों में आयुर्वेद का ज्ञान पहुंचाने की बेहद जरूरत है आयुर्वेद के महत्व की जानकारी लोगों तक पहुंचे इसके लिए सरकार को सार्थक प्रयास करने की जरूरत है आम जनता को आयुर्वेद के प्रति प्रेरित कर उन्हें आयुर्वेद के प्रति प्रोत्साहित करना यह सरकार का दायित्व है आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की शुरुआत की जाए यह कम खर्चीली है और इस पद्धति से गरीबों का भी सस्ता और सुलभ इलाज आसानी से हो सकता है। एलोपैथी के आगे पुरानी आयुर्वेद पद्धति को लोग भूलते जा रहे हैं जबकि आयुर्वेद पद्धति के बारे में कुछ लोगों को ही विशेष जानकारियां हैं इस पद्धति की खोज कराई जानी चाहिए और गांव क्षेत्र में जिन लोगों को आयुर्वेद की जानकारी है उन्हें प्रोत्साहित कर आगे बढ़ने का मौका दिया जाना चाहिए लेकिन किताबी डिग्री के आगे आयुर्वेद का ज्ञान रखने वालों को सरकार और उनके नुमाइन्दे महत्व नही देते जो चिन्ता का विषय है आयुर्वेद पद्धति की औषधियों से तो कोरोनावायरस से भी भयंकर वायरस को नष्ट करना सम्भव है कोरोना जैसे महामारी से नीम तुलसी गिलोय जैसी आयुर्वेद औषधि से इलाज कर महामारी से बचा जा सकता है। आने वाली पीढ़ी को आयुर्वेद के बारे में भरपूर जानकारी हो जिससे वह विदेशी वैक्सीन का सहारा देश वासियों को ना लेना पड़े हमारे भारत देश की आयुर्वेद चिकित्सा सफल चिकित्सा में रही है लेकिन हम आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को भूल गए तो भविष्य में आने वाली पीढ़ी को खतरनाक महामारी से कैसे बचाया जा सकता है।
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