लखनऊ। जौहर यूनिवर्सिटी को यूपी सरकार कभी भी अधिग्रहीत कर सकती है, क्योंकि 170 करोड़ की इस यूनिवर्सिटी में 105 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से लगे है। इतना ही नहीं यूनवर्सिटी में चकरोड और करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन भी है। प्रशासन ने इन्हीं तीन बिंदुओं के आधार पर शासन को रिपोर्ट भेजते हुए यूनिवर्सिटी के अधिग्रहण की संस्तुति की है।
जौहर यूनिवर्सिटी सपा सांसद आजम खां का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सपा शासन में जब इसे खोला गया था। अब इस यूनिवर्सिटी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यूनिवर्सिटी के लिए तमाम तरीके से जमीन हथियाने के आरोप सपा सांसद आजम खां पर लगे हैं। सपा सांसद इसके फेर में फंसने के बाद संकट में हैं और इस वक्त जेल में हैं। जौहर यूनिवर्सिटी में तमाम सरकारी जमीनें होने की बात कही गई है। अब इस यूनिवर्सिटी को सरकार अधिग्रहण कर सकती है। प्रशासन की ओर से जो रिपोर्ट भेजी गई है उसके मुताबिक जौहर यूनिवर्सिटी में बने भवनों की औसत लागत करीब 170 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट के मुताबिक 170 करोड़ रुपये में से 105 करोड़ रुपये के भवन सरकारी खर्च से सरकार के विभिन्न विभागों ने बनवाए हैं। कई सड़कें भी पीडब्ल्यूडी द्वारा बनवाई गई हैं। जमीमों का कुछ हिस्सा भी सरकारी है।जौहर यूनिवर्सिटी के अधिग्रहण के लिए शासन को सुझाव दिया गया है। शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। यूनिवर्सिटी में करीब 105 करोड़ रुपये सरकार के लगे हैं। साथ ही तमाम जमीनें भी सरकारी हैं। -आन्जनेय कुमार सिंह, जिलाधिकारी पूर्व राज्यपाल भी कर चुके हैं संस्तुति
पूर्व कांग्रेसी नेता फैसल लाला के पत्र के आधार पर पूर्व राज्यपाल राम नाइक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। यह मामला जुलाई 2019 का है। फैसल ने राज्यपाल को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने यूनिवर्सिटी में सरकारी धनराशि लगा होने के साथ ही सरकारी जमीन होने की बात कहते हुए सरकार से यूनिवर्सिटी का अधिग्रहण करने की मांग की थी,जिस पर राज्यपाल ने पत्र लिखकर कार्रवाई को कहा था।
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