सोमवार, 23 मार्च 2020

सख्ती या बेफिक्री ? 'संपादकीय'

मधुकर कहिन
कॅरोना वायरस की गंभीरता समझाने हेतु कहीं सरकार को न लगाना पड़े कर्फ्यू
प्रशासन की सख्ती के बावजूद बेफिक्र घूम रहे हैं अजमेर वासी


जनता कर्फ्यू खत्म होते ही , अजमेर के लोग इतनी बेफिक्री से सड़कों पर घुमाई घूमते हुए दिखाई दे रहे है जैसे कि कोई कैदी सालों बाद जेल से छूटा हो।


लोगों को लगता है कि उनके थाली और ताली बजाने और शोर मचाने से कॅरोना वायरस मैदान छोड़ कर भाग गया हैं।आज सुबह कुछ समझदार लोग ट्रॉम्बे स्टेशन के पास अपने दोस्तों की भीड़ इकट्ठी करके काढ़ा वितरण करने लगे । ताकि कॅरोना का इलाज कर सकें। इन नेतागिरी के रोगियों को शायद यह मालूम नहीं है कि - करोना का इलाज काढ़े से करने के चक्कर में कहीं इनको गंभीर इलाज की ज़रूरत न पड़ जाए क्योंकि कॅरोना ऐसे ज्यादा समझदारों का इलाज करने में पूरी तरह से सक्षम है। ऐसे नेतागिरी पसंद समाज सेवाको कि बेवकूफ की वजह से जो माहौल उत्पन्न हो रहा है वह माहौल खुद ही किसी आपातकालीन स्थिति से कम नहीं है। उस पर हिंदुस्तान जिंक का भीलवाड़ा यूनिट रोज तकरीबन 400 मजदूरों को अजमेर से गाड़ी लगाकर भीलवाड़ा ले जाता है। और शाम को भीलवाड़ा से उठाकर वापस अजमेर में छोड़ देता है। जिनमें से 400 नहीं तो दो या चार लोग तो संक्रमण लेकर आते ही होंगे। और अड़ोस पड़ोस में एक आद लोगों को टच कर लेते होंगे। परंतु अभी तक प्रशासन को शायद इसका ज्ञान नहीं है। लगता है अजमेर वासियों को अभी तक लॉक डाउन का मतलब पूरी तरह समझ में नहीं आ रहा है। वैसे भी यहाँ के नेतागिरी पसंद ननगरिकों को  इतनी आसानी से बातें समझ में कहाँ आती हैं। सो अजमेर के भोले भाले समाजसेवी जीवो को मैं बता देता हूँ कि भाई !!! लॉक डाउन ऐसी आपात परिस्थिति में एक अहसान है !!!  जो सरकार ने आप लोगों पर किया है।सरकार चाहती तो जबरन कर्फ्यू भी लगा सकती थी। ताकि आप लोग इस गंभीरता को समझ सकें और पांव बांधकर शांति से घर बैठे रहें। लेकिन सरकार ने फिर भी ऐसा नहीं किया। और ज़रा नरमी बरतते हुए जनता से उम्मीद की है कि शायद वह इस आपातकालीन स्थिति को समझ सके। और खुद ही सहयोग करें । ताकि लाखों लोगों की जान बचाई जा सके। लेकिन आज सुबह बाज़ारों का दृश्य देख कर ऐसा लगता है की अजमेर वासियों को अब तक बात समझ नहीं आयी है। शायद सरकार द्वारा बखशी गयी इज्जत रास नहीं आ रही है। लो एक कोशिश मैं भी मेरी तरह से कर ही लेता हूं। तो भाई लोगों !!! आज 400 के करीब जो कॅरोना वायरस के संक्रमण का आंकड़ा पूरे देश में है , लगभग यही 400 के आसपास का आंकड़ा 1 महीने पहले इटली का था । और तब भी इटली वासियों ने बिल्कुल आप लोगों की तरह इसे गंभीरता से नहीं लिया। और बिल्कुल ऐसा ही माहौल था वहां पर भी , जैसा आज हमारे यहां चल रहा है। यदि हम इस वक्त गंभीर होकर जिम्मेदारी से कॅरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में सरकार और प्रशासन का साथ नहीं देंगे ... तो वह दिन दूर नहीं है कि भारत का भी हाल इटली जैसा हो जाएगा। जहां सेना बॉर्डर पर जंग लड़ रहे सिपाहियों की नहीं ,अपितु अपने ही देश के नागरिकों के शव उठाने के लिए लगी हुई है। खैर !!! अजमेर वासियों का क्या है ??? अजमेरवासी तो अजमेर वासी हैं ...  इन लोगों की हरकतों के पीछे पहले भी कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी खामयाजा भुगत चुके हैं।
फिर भी ... जिस तरह की खबरें राष्ट्र चैनलों पर अन्य जगहों की भी आ रही है। उन के मद्देनजर देखा जाए तो राजस्थान सरकार को भी अनिवार्य रूप से 31 तारीख तक सख्ती से कर्फ्यू लागू कर देना चाहिए। अन्यथा इतनी बड़ी जनसंख्या के लोगों को सद्भावना से समझाने में यदि, यह कीमती समय निकल गया तो फिर कॅरोना की मार से बचना प्रदेश में मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। अल्पकाल के लिए ही सही, पर पूरे प्रदेश में एक बार झटके से कर्फ्यू लगाना आम लोगों को कॅरोना वायरस के खतरे से मुकाबले के लिए गंभीर रूप से तैयार करने हेतु बहुत आवश्यक नज़र आता है । बल्कि मैं तो यह कहूँगा की यह आवश्यक ही नहीं अनिवार्य नज़र आता है।


 फिर भी उम्मीद करूंगा कि अजमेर की जनता कम से कम समझदारी बरतते हुए ऐसी स्थिति ना आने दे ।और पूरे प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में अनुशासित और सभ्य नागरिकता का उदाहरण प्रस्तुत करें।


नरेश राघानी


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