बुधवार, 11 मार्च 2020

पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम ने बदली करवट

देहरादून। उत्तराखंड के अधिकतर इलाकों में होली के दिन चटख धूप खिली रही, लेकिन आज बुधवार को राज्य में मौसम ने फिर करवट ले ली। राजधानी देहरादून में सुबह से बादल छाए रहे। बीच-बीच में हल्की धूप निकली। दोपहर 12 बजे बाद देहरादून में बूंदा-बांदी शुरू हो गई।
वहीं चमोली जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में आज तड़के बर्फबारी हुई और निचले क्षेत्रों में बारिश हुई। बदरीनाथ, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, घांघरिया के साथ ही अन्य ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की सूचना है। फिर ठंड लौटी आई है। श्रीनगर क्षेत्र में बादल छाए हुए हैं। यहां तेज हवांए चल रही हैं। जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग से लेकर केदारनाथ तक घने बादल छाए हैं। बारिश की संभावना है।


नैनीताल में हल्के बादल छाए हैं। पिथौरागढ़ में हल्के बादलों के साथ धूप खिली है। पंतनगर में बादलों के साथ सूरज की आंख मिचौली जारी है। हरिद्वार जिले में मंगलवार रात से मौसम बिगड़ गया। यहां रात में कई स्थानों पर बारिश हुई। आज सुबह से घने बादल छाए हुए हैं। जिसके चलते जनपद में कुछ जगहों पर बारिश पड़ने की संभावना है। मौसम खराब होने से जिले में फिर से ठंड बढ़ गई है।
अभी और सता सकती है बारिश और ठंड
अभी बारिश और ठंड लोगों को और सता सकती है। आईआईटी के वैज्ञानिकों के अनुसार हरिद्वार जिले में 12 से 14 मार्च के बीच ओलावृष्टि और गरज के साथ कुल 47 मिमी बरसात होने की संभावना है।
अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान आठ से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। आईआईटी के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केंद्र के नोडल अधिकारी प्रो. आशीष पांडेय के अनुसार अधिकतम सापेक्षिक आर्द्रता 80-90 प्रतिशत और न्यूनतम सापेक्षिक आर्द्रता 40 से 50 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है।
ओलावृष्टि और गरज के साथ कुल 60 मिमी बरसात की संभावना 11 मार्च को उत्तर-पश्चिम तथा 12-14 मार्च को दक्षिण-पूर्व दिशा से छह से 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। वहीं पौड़ी गढ़वाल जनपद में 12-14 मार्च के बीच कुल 38 मिमी बरसात होने की संभावना है।
देहरादून जनपद में 12-14 मार्च के बीच ओलावृष्टि और गरज के साथ कुल 60 मिमी बरसात होने की संभावना है। उन्होंने सलाह दी है कि किसान 14 मार्च तक सिंचाई, कीटनाशकों के छिड़काव तथा उर्वरकों के उपयोग को रोक दें। निचले, गहरे स्तर के खेतों से पानी की अत्यधिक मात्रा को निकालने के लिए जल निकास की उचित व्यवस्था करें। साथ ही दुधारू पशुओं को संतुलित आहार दें। ओलावृष्टि व बरसात के पूर्वानुमान को देखते हुए पशुधन को खुले में न छोड़ें।


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