गुरुवार, 12 मार्च 2020

मंदिर में छोडी नवजात, डीएनए नमूने मैच

लावारिश मिली नवजात बच्ची के मामले में अपडेट : डीएनए नमूने लिए


 नैनीताल। बीती 6 फरवरी को नगर के स्टाफ हाउस सात नंबर हनुमान मंदिर के पास लावारिश अवस्था में मिली समय से पूर्व पैदा हुई नवजात बच्ची का बुधवार को डीएनए नमूने ले लिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को मामले की जांच कर रही नैनीताल पुलिस को न्यायालय से बच्ची व उसकी मां के रूप में चिन्हित लड़की के डीएनए नमूने लेने की अनुमति मिल गई थी। नमूने जनपद की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भारती राणा द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में लिए गए, जहां बच्ची नैनीताल में मिलने के दिन से ही स्वास्थ्य लाभ कर रही है।
मल्लीताल कोतवाल ने बताया कि आगे बृहस्पतिवार को उसे जन्म देने वाली मां के तौर पर चिन्हित हुई नाबालिग लड़की के डीएनए के नमूने लिए जाने की संभावना है, जो कि बच्ची को जन्म देने के बाद से ही नगर के अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती है। पुलिस लड़की के हवाले से बताया है कि उसे चार वर्ष छोटे सगे चचेरे भाई से पिछले चार वर्ष से चल रहे प्रेम संबंध के बाद करीब आठ माह के गर्भ से बच्ची पैदा हुई है। उल्लेखनीय है कि बीती 5 फरवरी को नगर के सात नंबर, स्टाफ हाउस हनुमान मंदिर क्षेत्र में कड़ाके की ठंड के बीच, गर्भनाल से जुड़ी अवस्था में एक तत्काल पैदा हुई बच्ची नाले में लावारिस अवस्था मे मिली थी। लड़की की उम्र 17 वर्ष 1 माह, जबकि आरोपित सगे चचेरे भाई की उम्र लड़की से भी 4 वर्ष कम, 13 वर्ष बताई जा रही है। उसका जन्म वर्ष 2006 बताया गया है। डीएम सविन बंसल द्वारा संज्ञान लिये जाने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा बच्ची का उपचार किया जा रहा है, और उसे गोद देने की प्रक्रिया भी शुरू की गई, जबकि मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने बच्ची को इस तरह मरने के लिये छोड़ने वाले अज्ञातों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। बताया गया है भारतीय दंड संहिता की धारा 307 और 315 के तहत दर्ज यह उत्तराखंड का पहला मामला है। जिलाधिकारी द्वारा इस मामले से संबंधित जानकारी देने पर 10 हजार रुपए का नगद ईनाम घोषित किया गया था। इस पर एक स्थानीय महिला ने प्रशासन को मामले की सूचना दी गई। आगे पुलिस लड़की के स्वस्थ होने पर संबंधित कानूनी कार्रवाई के साथ उसके मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने के प्रयास में है।


गौरतलबहो बीती 6 फरवरी को नगर के सात नंबर, स्टाफ हाउस हनुमान मंदिर क्षेत्र में कड़ाके की ठंड के बीच, गर्भनाल से जुड़ी अवस्था में एक तत्काल पैदा हुई बच्ची नाले में लावारिस अवस्था मे मिली थी। जिलाधिकारी सविन बंसल द्वारा संज्ञान लिये जाने के बाद जिला प्रशासन के द्वारा बच्ची का उपचार किया जा रहा है, और उसे गोद देने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है, जबकि मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने बच्ची को इस तरह मरने के लिये छोड़ने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। बताया गया है भारतीय दंड संहिता की धारा 307 और 315 के तहत दर्ज यह उत्तराखंड का पहला मामला है। 
जिलाधिकारी द्वारा इस मामले से संबंधित जानकारी देने पर 10 हजार रुपए का नगद ईनाम घोषित किया गया था। इस पर एक स्थानीय महिला ने प्रशासन को मामले की सूचना दी। इस पर सोमवार को पुलिस नवजात को जन्म देने वालों के करीब पहुंच गई। साथ ही पुलिस ने बच्ची को जन्म देने वाली लड़की व उसके परिवार तक पहुंचने के बाद न्यायालय में उसके डीएनए के नमूने हासिल करने के लिए न्यायालय में अर्जी लगा दी है। उधर लड़की शारीरिक रूप से काफी अस्वस्थ बताई गई है और उसका नगर के एक चिकित्सालय में उपचार किया जा रहा है।
पुलिस हालांकि अभी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है, तथापि पुलिस से जुड़े सूत्रों से आ रही खबरों के अनुसार पूरी कहानी बच्चों में हावी हो रहे प्यार-सेक्स के साथ सामाजिक मान-मर्यादाओं के तार-तार होने व मानवता को शर्मसार करने वाली है। शुरुआती जानकारी के अनुसार बच्ची को जिस लड़की ने जन्म दिया, वह निर्बल आय वर्ग से है। पिता नगर में पर्यटन से जुड़ी गतिविधि में नौकरी करते हैं, और मां दूसरों के घरों में बर्तन मलकर परिवार चलाती हैं। वह नौवीं कक्षा तक पढ़ी है, परंतु फिलहाल स्कूल नहीं जाती है। उसकी उम्र 17 वर्ष 1 माह है, जबकि उसके साथ दुर्भाग्यपूर्ण एवं सोचनीय घटना को उसके ही सगे चचेरे भाई ने अंजाम दिया है। दोनों के बीच 4 वर्ष से प्रेम संबंध होने की बात भी प्रकाश में आ रही है। लड़के की उम्र लड़की से भी 4 वर्ष कम, 13 वर्ष बताई जा रही है। उसका जन्म वर्ष 2006 बताया गया है। लड़की बच्चे को जन्म देने से पहले से ही तनाव में है। वह खाना नहीं खा रही है। उसका नगर के एक अस्पताल में उपचार चल रहा है। घटना के बाद से उसका पूरा परिवार भी तनाव में है। उन पर पहले ही दर्ज हो चुके मुकदमे के तहत पुलिस की कार्रवाई का दबाव भी है। पुलिस ने लड़की के बयान ले लिए हैं, और अब पुलिस मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत उसके बयान कराने एवं बच्ची से उसके संबंध को पक्का करने के लिए दोनों की डीएनए जांच कराने की तैयारी कर रही है। साथ ही पुलिस इस मामले में लड़का-लड़की के साथ ही दोनों के माता-पिता के खिलाफ भी साक्ष्य छुपाने सहित अन्य धाराओं में मामला बढ़ा सकती है। इधर लड़की पक्ष अब मामला उजागर होने के बाद लड़के व उसके माता-पिता के खिलाफ भी पुलिस में मामला दर्ज कर सकती है। 
मामले में विवेचना अधिकारी, महिला उप निरीक्षक पुष्पा बिष्ट ने बताया कि नवजात बच्ची और लड़की के डीएनए नमूने लेने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। वहीं नगर कोतवाल अशोक कुमार सिंह ने बताया कि लड़की व बच्ची के डीएनए के नमूने लेने के लिए सोमवार को न्यायालय में प्रार्थना पत्र लगा दिया गया है। मामले की विवेचक आज न्यायालय के समक्ष पेश हुई। आगे लड़की के स्वस्थ होने पर संबंधित कानूनी कार्रवाई के साथ उसके मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए जाएंगे।


डीएम के प्रयासों से नाले में फेंकी मिली नवजात बालिका को गोद लेने 10 दंपत्ति आगे आए।


 मुख्यालय के स्टाफ हाउस क्षेत्र में गर्भनाल सेे जुडी मिली लावारिश नवजात बालिका को अपनाने के लिए डीएम सविन बंसल द्वारा किये गए प्रयासों के बाद 10 परिवार आगे आए हैं। कई दंपत्तियों ने डीएम शिविर कार्यालय मे बच्ची को गोद लेने की स्वयं अथवा फोन से तथा कई दम्पत्तियों ने सुशीला तिवारी चिकित्सालय प्रबंधन से बात कर बच्ची को गोद लेने की इच्छा व्यक्त की है। डीएम सविन बंसल ने कहा कि आगे बच्ची को गोद देने के लिए दम्पत्ति का चयन नियमानुसार ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया के द्वारा किया जायेगा। इसके लिए आवेदकों को ऑनलाइन आवेदन के लिए जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योमा जैन से सम्पर्क कर जानकारियां लेनी होगी। बच्ची को गोद लेने के लिए पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी। उधर इस मामले में मल्लीताल कोतवाली पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है।
डीएम श्री बंसल ने कहा कि वे इन दंपत्तियों का तहेदिल से स्वागत करते है। इन संवेदनशील दंपत्तियों को पीसीपीएनडीटी के अंतर्गत आयोजित होने वाले समारोह मे सम्मानित किया जायेगा। डीएम ने कहा कि यदि कोई दम्पत्ति इस बच्ची को गोद लेता है तो भी वे इस बच्ची के भरण पोषण, पालन-पोषण, शिक्षा आदि का खर्चा स्वयं वहन करेंगे। उन्होने बताया कि एसटीएच के उपचार के बाद जब बच्ची पूर्ण स्वस्थ हो जायेगी तो उसे सीडब्लूसी के माध्यम से अल्मोडा शिशु गृह मे रखा जायेगा।


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