इन दवाइयों का कच्चा माल चीन से आता है, कमेटी अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी
कमेटी ने कहा था- दवा बनाने में आत्मनिर्भर नहीं हुए तो हालात बिगड़ेंगे
पवन कुमार
नई दिल्ली। कोरोनावायरस के खतरों के बीच उन 13 प्रकार की दवाओं का निर्यात अब भी जारी है, जिन्हें बाहर भेजने पर डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्यूटिकल की ओर से गठित कमेटी ने रोक लगाने की सिफारिश की है। इन दवाइयों का कच्चा माल चीन से आता है। कमेटी अपनी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप चुकी है। इसमें कहा गया है कि 58 तरह की दवाइयों के मॉलिक्यूल्स के लिए भारत करीब-करीब चीन पर निर्भर है। जबकि 12 तरह के मॉलिक्यूल्स पर वह चीन पर ही निर्भर है। अगर भारत दवा बनाने में आत्मनिर्भर नहीं हुआ तो इसका गंभीर असर जनता के स्वास्थ्य पर पड़ेगा। विदेश से भारत करीब 700 तरह के मॉलिक्यूल्स आयात करता है। इनमें से सबसे ज्यादा 375 तरह के मॉलिक्यूल्स चीन से आयात किए जाते हैं। सरकार दवा उद्योग को बढ़ावा देगी तो चीन पर निर्भरता घटेगी। हर साल 30 हजार करोड़ रुपए का फॉरेन एक्सचेंज बचेगा। भारत हर साल करीब 15 हजार करोड़ रुपए की एक्टिव फार्मास्यूटिकल इन्ग्रेडिएंट (दवा बनाने का कच्चा माल) चीन से मंगवाता है।
कमेटी ने यह सिफारिश भी की है कि दवा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ड्रग सिक्योरिटी अथॉरिटी की स्थापना की जाए। विदेशों से दवा आयात पर सेस लगे। इससे प्राप्त राशि भारत में दवा उद्योग पर खर्च हो। पहले आने वाली 5 कंपनियों की सरकार मदद करे। हालांकि, शर्त यह हो कि कंपनी दवा की खपत भारत में करे।
दुनिया: कोरोनावायरस का 65 देशों पर असर, अब तक 3056 की मौत, 89700 लोग संक्रमित
65 देश कोरोनावायरस की चपेट में आ चुके हैं। इससे अब तक 3,056 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 89,700 लोग संक्रमित हैं।
चीन ने लोगों को काम पर लौटाने के लिए नया सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है। यह स्मार्टफोन में डाउनलोड होता है। सॉफ्टवेयर बताता है कि कौन से सार्वजनिक स्थल जैसे रेलवे स्टेशन, मॉल में कोरोनावायरस का खतरा नहीं है। चीन के 200 शहरों में लोग ऐसा एप भी इस्तेमाल कर रहे हैं, जो हरा, पीला, लाल रंग का संकेत दिखाकर संक्रमण की स्थिति बताता है।
आस्ट्रेलिया के स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने कहा है कि चीन ने 80 हजार उइगर बंदियों को कारखानों में काम करने भेजा है। आरोप है कि एपल, बीएमडब्ल्यू, सोनी कंपनियां उनसे फैक्ट्रियों में काम करा रही हैं।
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