शनिवार, 7 मार्च 2020

'काशी' में चिता भस्म से खेलेंगे होली

वाराणसी। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आज महादेव ने महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर भूत गणों के साथ चिता भस्म की होली खेली है। रंगभरी एकादशी के मौके पर गौरा को विदा करा कर कैलाश ले जाने के साथ ही भगवान भोलेनाथ काशी में अपने भक्तों को होली खेलने और हुड़दंग की अनुमति प्रदान करते हैं। काशी मोक्ष की नगरी है और मान्यता है कि यहां भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं।


लिहाजा यहां पर मृत्यु भी उत्सव है और होली पर चिता की भस्म को उनके गण अबीर और गुलाल की भांति एक दूसरे पर फेंककर सुख-समृद्धि-वैभव संग शिव की कृपा पाने का उपक्रम करते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव इस श्मशान में अपने गढ़ों के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं। पातालपुरी के महंत बालकदास ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार यहां मृत्यु भी एक उत्सव है और इस उत्सव में साल में एक बार बाबा विश्वनाथ खुद शामिल होते हैं।


जहां वो अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं। इस होली में पूरी काशी शामिल होती है, जहां चिता की राख से होली खेली जाती है। इस होली में चिताओं के भस्म से हर कोई सराबोर रहता है और काशी का कोना-कोना हर-हर महादेव से जयघोष से गुंजायमान होता है। इस उत्सव में विदेशी सैलानी भी हिस्सा बनते हैं।


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